नीम करौरी बाबा के पुत्र धर्म नारायण शर्मा ब्रह्मलीन
बाबा नीम करौरी आश्रम में छाया शोक अंतिम दर्शन को उमड़े श्रद्धालु 35 साल से वृंदावन के आश्रम में निवास कर रहे थे बाबूजी

संवाद सहयोगी, वृंदावन: बाबा नीम करौरी महाराज के कनिष्ठ पुत्र धर्म नारायण शर्मा बाबूजी ने 81 वर्ष की आयु में सोमवार को फरीदाबाद के मेट्रो अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। धर्म नारायण शर्मा के ब्रह्मलीन होने की खबर मिलते ही उनके अनुयाइयों में शोक की लहर दौड़ गई।
परिक्रमा मार्ग स्थित बाबा नीम करौरी आश्रम में सोमवार दोपहर को धर्म नारायण शर्मा ब्रह्मलीन होने की खबर पहुंची। आश्रम में हनुमान जयंती के कार्यक्रम रोक दिए गए। तीसरे पहर पांच बजे उनका पार्थिव शरीर आश्रम पहुंचा, अनुयायी बिलखने लगे। आश्रम के गोशाला परिसर में अंतिम संस्कार किया गया।
बाबा नीम करौरी महाराज के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। ज्येष्ठ पुत्र अनेक सिंह सरकारी अधिकारी रहे हैं। 91 वर्षीय अनेक सिंह अपने परिवार सहित भोपाल में निवास कर रहे हैं। कनिष्ठ पुत्र 81 वर्षीय धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर के पद पर रहे। सेवानिवृत्त होने के बाद 35 वर्षों से वृंदावन आश्रम में ही निवास कर रहे थे। उन्होंने अपने पीछे पांच पुत्रियों- दामादों का भरा-पूरा परिवार छोड़ा है। बाबा नीम करौरी महाराज की पुत्री गिरजा देवी आगरा में निवास कर रही हैं। वर्ष 1967 में हुई नीम करौरी आश्रम की स्थापना
बाबा नीम करौरी महाराज ने अपने जीवन में 108 हनुमान मंदिर देश के अलग-अलग शहरों में बनवाए, इनमें लखनऊ में गोमती किनारे हनुमान सेतु मंदिर भी शामिल है। बाबा ने दो आश्रम भी बनवाए। पहला आश्रम कैंची (नैनीताल) और दूसरा वृंदावन (मथुरा) में। वृंदावन आश्रम की स्थापना वर्ष 1967 में हुई थी। 11 सितंबर 1973 को बाबा ने वृंदावन स्थित आश्रम में महासमाधि ली। फर्रुखाबाद के गांव नीम करौरी में हुए हनुमानजी के दर्शन
बाबा नीम करौरी महाराज का मूल नाम पंडित लक्ष्मीनारायण शर्मा है। कहा जाता है कि जब पंडित लक्ष्मीनारायण शर्मा फर्रुखाबाद के गांव नीम करौरी में साधना में रत थे, तब उन्हें हनुमानजी के साक्षात दर्शन हुए। तब से बाबा का नाम नीम करौरी महाराज पड़ गया और आज भी उन्हें नीम करौरी बाबा के नाम से ही जाना जाता है।
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