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    Yamuna Water: फसलें बर्बाद, मिट्टी बेजान और खेतों में जमा पानी... बर्बादी का बोझ छोड़ गई यमुना की बाढ़!

    Updated: Sun, 24 Aug 2025 01:45 PM (IST)

    यमुना नदी में बाढ़ के कारण मथुरा के खादर क्षेत्र में किसानों को भारी नुकसान हुआ है। हजारों बीघा धान बाजरा कपास और सब्जियों की फसलें बर्बाद हो गई हैं जिससे किसानों के सामने आर्थिक संकट आ गया है। जलस्तर घटने के बाद भी खेतों में पानी जमा है और अगली बुवाई भी मुश्किल लग रही है। प्रभावित लोगों को राहत सामग्री का वितरण किया गया है।

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    यमुना का पानी कम होने के बाद भी सड़कें लबालब हैं।

    जागरण संवाददाता, मथुरा। यमुना का जलस्तर घटा है, मगर बाढ़ का घाव खेतों पर ताजा है। शनिवार को प्रयाग घाट पर सुबह 6 बजे जलस्तर 165.78 मीटर और शाम 6 बजे 165.63 मीटर दर्ज हुआ। यमुना खतरे के निशान 166.00 मीटर से नीचे जरूर है, पर अभी चेतावनी स्तर 165.20 मीटर से ऊपर बहाव जारी है।

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    अपस्ट्रीम से ताजेवाला बांध से 23,876 क्यूसेक और ओखला बांध से 25,135 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जबकि गोकुल बैराज से आगरा की ओर सुबह 80,300 क्यूसेक और शाम को को 75,467 क्यूसेक पानी आगरा की तरफ डिस्चार्ज किया गया। इन आंकड़ों के बावजूद खादर में तस्वीर उदास है। सैकड़ों नहीं, हजारों बीघा फसल डूब चुकी है। कहीं फसल गिरकर सड़ रही हैं, तो कहीं खेतों में दलदल के चलते अगली फसल बोने लायक स्थिति ही नहीं बची है।

    खादर में हजारों बीघा फसल हुई चौपट

    मांट क्षेत्र के डागौली खादर की करीब 500 बीघा बाजरे में लगभग 80 प्रतिशत नुकसान बताया जा रहा है। धनीराम पंडित कहते हैं कि पंचायती गोशाला की 100 बीघा जमीन पर बोया बाजरा पूरा डूब गया, लागत भी निकलना मुश्किल है। ग्राम प्रधान वेदराम और बेगमपुर के प्रधान देवकी निषाद का आरोप है कि सर्वे होते हैं, पर राहत कागजों में अटकी रह जाती है। छोटे किसानों के परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंचेंगे। इसीलिए त्वरित राहत जरूरी है।

    धान–बाजरा–कपास और सब्जियां पानी में समाईं

    सुरीर क्षेत्र के औहावा ग्राम प्रधान होशियार सिंह और भिदौनी के प्रधान वीरेंद्र कुमार का कहना है कि फसलें तहस-नहस हो गईं, खेत जैसे खाली जमीन हो गए। किसान किशन सक्सेना की 100 बीघा धान खत्म, पवन बघेल बताते हैं कि परिवार के साथ बटाई पर 100 बीघा में बाजरा-सब्जियां कर रहे थे, सब डूब गया। शेरगढ़ क्षेत्र में गुलालपुर के प्रधान गोविंद सिंह के अनुसार पंचायत के बाबूगढ़, चमनगढ़ी, गुलालपुर में 80 प्रतिशत धान चौपट हो गया। बाजरा, पेठा और कपास भी नष्ट है।

    कपास नष्ट होने से लाखों की चपत

    बेहटा के प्रधान रामबाबू बोले कि नगला जटवारी, नगला नंदी, बेहटा तीनों में धान, बाजरा, ज्वार और कपास लाखों की चपत में हैं। वाजिदपुर ग्राम पंचायत के प्रधान कांती ने बताया कि ओवा, नगला सपेरा, वाजिदपुर में भी यही हाल। जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मण सिंह के मुताबिक कजरौठ, बेहटा, बाबूगढ़, ओवा, धीमरी, शेरगढ़ में जहां देखो, खादर की फसल पूरी तरह चौपट है।

    चेतावनी स्तर से ऊपर बह रही है धारा

    नौहझील क्षेत्र में रायपुर, नानकपुर, मनीगढ़ी, मुसगना, भैरई, फिरोजपुर, दौलतपुर, छिनपारई, मकदूमपुर, वेदना, बाघर्रा, बरौंठ, मीरपुर आदि ग्राम पंचायतों में बाजरा और धान सबसे ज्यादा डूबे हैं। मुसगना के प्रधान रामजीत सिंह, छिनपारई के प्रतिनिधि योगेश कुमार, मकदूमपुर के खेमचंद शर्मा, वेदना के प्रधान प्रतिनिधि संजय और बरौंठ के प्रधान राकेश चौधरी सब एक सुर में बोले कि अब हल जोतने लायक भी खेत नहीं बचे हैं। फरह में श्मशान तक जाने वाला मार्ग अवरुद्ध हो गया है। यहां सलेमपुर–फरह का साझा श्मशान होने से लोग दाह संस्कार के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं।

    जयसिंहपुरा में बाढ़ के बाद बदतर हालात

    जयसिंहपुरा और गणेश टीला के ऊपरी हिस्सों में पानी उतरने के बाद कीचड़, जलकुंभी, बदबू और कूड़े ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। वहीं निचले हिस्सों में अब भी 30–40 मकानों के बाहर सड़कों पर करीब दो फीट पानी जमा है। लोग घरों में लौटने की बजाय राहत शिविरों में ठहरे हुए हैं। दुर्गंध और गंदगी से संक्रमण का खतरा बढ़ने लगा है।

    बाढ़ पीड़ितों को बांटी राशन सामग्री

    विधायक श्रीकांत शर्मा की उपस्थिति में वृंदावन बाढ़ चौकी गुरुकुल विश्वविद्यालय में तहसीलदार जितेंद्र कुमार चाहर, राजस्व निरीक्षक ईश्वरी प्रसाद व लेखपाल धर्मेंद्र चौधरी, चंद्रशेखर वर्मा के साथ अन्य अधिकारियों ने बाढ़ पीड़ितों को राशन किट का वितरण किया। यहां विधायक श्रीकांत शर्मा ने कहा कि पीड़ितों को हर तरह से मदद की जाएगी। नौहझील के छिनपारई गांव में झाड़ी हनुमान मंदिर पर चौकी प्रभारी चरन सिंह ने प्रधान प्रतिनिधि योगेश कुमार की उपस्थिति में 25 बाढ़ पीड़ितों को बाढ़ राहत सामग्री वितरित की।

    नौहझील-शेरगढ़ मार्ग पर शुरू हुआ आवागमन

    नौहझील-शेरगढ़ मार्ग यमुना कटान के पानी से डूबने के कारण प्रशासन ने बंद कर दिया था। यहां पैदल गुजरना तो दूर वाहनों को निकलने की अनुमति नहीं थी। क्योंकि पानी दो से तीन फीट ऊपर तेज वहाब के साथ बहने लगा था। शनिवार को यमुना जलस्तर उतरा तो यहां मार्ग पर हल्का पानी था। इस कारण यहां आवागमन फिर से सुचारू कर दिया गया।

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