Banke Bihari Mandir: बांके बिहारी मंदिर के चबूतरे से हटेगा अतिक्रमण, समिति सदस्य की भूमिका!
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर की प्रबंधन समिति चबूतरे से अतिक्रमण हटाने की योजना बना रही है, जिससे दुकानदारों में खलबली है। दुकानदारों को सेवायत की गद्दी से सहारा मिल रहा है, जिसका अतिक्रमण सबसे अधिक है। चबूतरे पर दुकानें हटाना समिति के लिए चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि अधिकांश दुकानें मंदिर के सेवायतों की हैं और कम किराए पर चल रही हैं। समिति को गोस्वामी समाज से दर्शन समय में वृद्धि और सेवायतों की संख्या तय करने में भी कठिनाई हो रही है।

बांकेबिहारी मंदिर का चबूतरा। फाइल
संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर उच्चाधिकार प्रबंधन समिति मंदिर चबूतरे से दुकानों के अतिक्रमण को हटाने की योजना बना चुकी है। इसके लिए समिति ने अपने ही जूताघर को हटाकर दुकानदारों को संदेश भी दे दिया। दुकानों को हटाने का निर्णय आगामी 15 दिसंबर की बैठक में भले ही होगा। लेकिन, दुकानदारों में खलबली मच गई है। दुकानदारों को साहस मंदिर के प्रवेशद्वार संख्या दो की चौखंडी पर बनी सेवायत की गद्दी से बना हुआ है।
चूंकि ये गद्दी मंदिर उच्चाधिकार प्रबंधन समिति के सेवायत सदस्य की है। इसका अतिक्रमण सबसे अधिक चबूतरे पर है। जबकि दूसरी दुकानें भी मंदिर सेवायतों की ही हैं, जो कि दशकों से बहुत ही कम किराए पर चली आ रही हैं। ऐसे में चबूतरे से दुकानें हटा पाना समिति के लिए चुनौती भरा काम साबित होगा।
पूर्व में गठित हुई कमेटियों ने गोस्वामियों को दुकानों के लिए किया था आवंटन
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर चबूतरे पर जूताघर हटने के बाद अब दूसरी दुकानों के स्वामियों में दहशत का माहौल उत्पन्न हो गया है। लेकिन, उन्हें भरोसा है कि उच्चाधिकार प्रबंधन समिति उनकी दुकानों को हटाने का साहस कम ही करेगी। चूंकि इन दुकानों के बीच समिति के एक सेवायत सदस्य की गद्दी है, जिसका अतिक्रमण सबसे अधिक है। मंदिर उच्चाधिकार प्रबंधन समिति के सेवायत सदस्य दिनेश गोस्वामी के अनुसार मंदिर के गेेट संख्या दो की चौखंडी पर सेवायत सदस्य श्रीवर्धन गोस्वामी की गद्दी है, जिसका अतिक्रमण दुकान से दोगुना हो चुका है।
मंदिर परिसर में तीन पीढ़ियों से गोस्वामी समाज की संचालित हैं दुकानें और गद्दी
इस गद्दी के आवंटन के बारे में बताया साठ के दशक में प्रबंध कमेटी के सदस्य कृष्णचंद्र गोस्वामी ने ये चौखंडी जयगोपाल गोस्वामी को इत्र की दुकान के लिए दी थी। इसके बाद जयगोपाल गोस्वामी के तीन पुत्रों सुमन गोस्वामी, बालकृष्ण गोस्वामी, बबलू गोस्वामी को ये दुकान वसीयत में तो मिली। लेकिन, 90 के दशक में जब प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष पद पर आनंद गोस्वामी काबिज हुए ताे उन्होंने इत्र की इस दुकान को कब्जा मुक्त करके अपने लिए गद्दी बना डाली। इसके बाद आनंद बिहारी गोस्वामी और जुगलकिशोर गोस्वामी इसे अपनी गद्दी के रूप में उपयोग करते आ रहे हैं।
चबूतरे पर सबसे अधिक अतिक्रमण इसी गद्दी का
बड़ी बात ये कि चबूतरे पर सबसे अधिक अतिक्रमण इसी गद्दी का है, जिस गद्दी का उपयोग वर्तमान में समिति के सेवायत सदस्य श्रीवर्धन गोस्वामी कर रहे हैं। इसके अलावा गेट के दूसरी चौखंडी की दुकान रूपकिशोर गोस्वामी के नाम से तीन रुपये किराए पर अलाट हुई थी। ये दोनों ही प्रवेशद्वार की चौखंडियां थीं। इसके बराबर जो दुकान छबीलेवल्लभ गोस्वामी को किराए पर दी गई। इसका यात्री विश्रामालय के रूप में उपयोग हुआ। अब दुकान चल रही है। इसके बराबर में गेट संख्या तीन को जाने वाले रास्ते पर खोखा में दुकान बनी है, वह भी 80 के दशक में मंदिर प्रबंधन ने गोपीवल्लभ गोस्वामी उर्फ गुपिया गोस्वामी व उसके बाद किशन बिहारी गोस्वामी ने चलाई अब इस खोखा का संचालन उनके बेटे पंकज कर रहे हैं।
ऐसे में चबूतरे पर पूरी तरह अतिक्रमण केवल मंदिर के सेवायतों का ही है। जिसे हटा पाना प्रबंध समिति के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा। चूंकि प्रबंधन समिति अब तक गोस्वामी समाज से न तो दर्शन समय में वृद्धि करवा पाई है और न ही मंदिर में सेवायतों व सेवादारों की संख्या ही तय करवा पाई है।

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