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    Banke Bihari Madir ट्रस्ट ने लिया कानूनी रूप, प्रबंधन में दखल की आशंका से सेवायतों ने साधी चुप्पी

    By Vipin Parashar Edited By: Prateek Gupta
    Updated: Mon, 22 Dec 2025 08:21 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार ने ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर ट्रस्ट को कानूनी रूप दे दिया है, जिससे मंदिर के सेवायतों में दहशत है। सेवायत पहले से ही उच्चाधिकार प्रबं ...और पढ़ें

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    बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन को उमड़ी भीड़।

    संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। प्रदेश सरकार ने ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर ट्रस्ट को दोनों सदनों में पास करवाने के बाद अधिनियम के रूप में अधिसूचना जारी कर दी। ऐसे में बांकेबिहारी मंदिर के सेवायतों में दहशत का माहौल उत्पन्न हो गया है। मंदिर सेवायत पहले से ही उच्चाधिकार प्रबंधन समिति के विरोध में कदम उठा रहे थे।

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    अब प्रदेश सरकार द्वारा गठित ट्रस्ट के कानून बनने के बाद असमंजस की स्थिति में पहुंच गए हैं। सेवायतों से जब इस बारे में सवाल किए तो स्पष्ट तौर पर अपनी प्रतिक्रिया तक देने को राजी नहीं थे।

    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए उप्र सरकार ने मंदिर प्रबंधन से जुड़ा विधेयक ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर ट्रस्ट 2025 विधानसभा और विधान परिषद दोनों में पास कर लिया और राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद अब इस विधेयक को कानूनी रूप मिल गया है। यह जानकारी सोमवार को मंदिर सेवायतों के बीच चर्चा का विषय बनी रही।

    लेकिन, इस पर स्पष्ट राय देने के लिए काेई सेवायत सामने नहीं आया। मंदिर उच्चाधिकार प्रबंधन समिति के सदस्य शैलेंद्रनाथ गोस्वामी ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के अध्यादेश को स्टे करते हुए उच्चाधिकार प्रबंधन समिति का गठन किया और एक वर्ष का समय मंदिर की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में मामले को उच्च न्यायालय में ले जाने के आदेश भी पारित किए।

    ऐसे में जब तक उच्च न्यायालय कोई निर्णय नहीं लेता, तब तक सरकार को कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। ये कानूनी प्रक्रिया है, कानूनविद ही अधिक इस पर अपनी राय दे सकते हैं।

    मंदिर सेवायत रजत गोस्वामी ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने हमें उच्च न्यायालय में मामला ले जाने के साथ प्रदेश सरकार को अपनी प्रक्रिया करने से तो रोका नहीं है। ऐसे में कानून तो विधानसभा में पास होने पर ही बन गया था। वर्तमान में तो सुप्रीम कोर्ट ने उच्चाधिकार प्रबंधन समिति का गठन कर रखा है, तो देखना होगा कि समिति कार्यकाल पूरा होने तक सुप्रीम कोर्ट क्या निर्णय देता है।

    उच्चाधिकार प्रबंधन समिति सदस्य दिनेश गोस्वामी अपनी अलग राय रखते हैं। दिनेश गोस्वामी ने कहा उनका तो ये ड्रीम प्रोजेक्ट था। जब सरकार अध्यादेश लाई तो सबसे पहले समर्थन में खड़े हुए थे। ट्रस्ट अगर व्यवस्था संभालता है तो मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए बेहतर होगा। सेवायतों ने अपने ही झगड़ों के कारण सरकार को ये मौका दिया है।

    उत्तर प्रदेश सरकार ने अगर कानून पास किया है, तो जब तक इसका पूरी तरह अध्ययन न कर लें। इसके बारे में कुछ भी कहना उचित नहीं है। पहले इसका अध्ययन करना होगा, तभी कुछ कह सकते हैं। कि कैसे और कब लागू होगा।
    -न्यायमूर्ति अशोक कुमार, अध्यक्ष: ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर उच्चाधिकार प्रबंधन समिति।