Banke Bihari Mandir: हलवाई की होगी स्थाई नियुक्ति, बांकेबिहारी मंदिर में सेवायत खुद बनाते हैं कच्चा भोजन, शामिल हैं ये व्यंजन
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में सेवाधिकारी ठाकुरजी के भोग के लिए कच्चा प्रसाद खुद बनाते हैं। मंदिर प्रबंधन समिति हलवाई नियुक्त करेगी, पर वह केवल पकवान बनाएगा। कच्ची रसोई सेवायत ही तैयार करते हैं, जिसकी उस दिन सेवा होती है। कुछ सेवायतों की सहायता के लिए अन्य सेवायत आगे आते हैं। कच्चे प्रसाद में दाल, चावल, रोटी जैसे व्यंजन होते हैं, जबकि हलवाई पकवान बनाता है।

ठाकुर बांकेबिहारी की कच्ची रसोई।
संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। सेवाधिकारी ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में ठाकुरजी का भोग व प्रसाद तैयार करने के लिए उच्चाधिकार मंदिर प्रबंधन समिति टेंडर की मदद से स्थाई रूप से हलवाई नियुक्त करने जा रही है। लेकिन, मंदिर में नियुक्त होने वाला हलवाई ठाकुरजी की कच्ची रसोई तैयार नहीं कर सकता।
मंदिर में परंपरा रही है कि ठाकुरजी की कच्ची रसोई को वही सेवाधिकारी तैयार करता है, जिसकी उस दिन सेवा होती है। मंदिर की रसोई में कच्ची रसोई तैयार करने वाला सेवायत एकबार प्रवेश करता है, तो बाहर नहीं निकलता। पूरी तरह भोग तैयार करके ही निकलता है। ठाकुरजी को दोपहर के समय राजभोग में कच्चा प्रसाद भी अर्पित किया जाता है, इस प्रसाद को सेवाधिकारी ही अपने हाथों से बनाता है। जबकि नियुक्त होने वाले हलवाई पकवान बनाएगा।
ठाकुरजी के भोग में पकवान तैयार करने की जिम्मेदारी उठाता है हलवाई
ठाकुर बांकेबिहारीजी की सेवा आज भी भावरूप में हाेती है। ठाकुरजी के प्राकट्यकर्ता स्वामी हरिदास द्वारा तय नियमों का आज भी सेवायत पालन कर रहे हैं। ठाकुरजी की श्रृंगार सेवा हो या फिर फूलबंगला व आरती की सेवा। स्वामी हरिदास के समय तय हुई सेवाओं का ही परंपरा के अनुसार पालन आज भी हो रहा है।
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में भोग प्रसादी की परंपरा रही है कि कच्चा प्रसाद मंदिर सेवायत खुद अपने हाथ से तैयार करते हैं। इसकी जिम्मेदारी वही सेवायत उठाता है। जिसकी सेवा उस दिन मंदिर में रहती है। चूंकि मंदिर की कच्ची रसोई में प्रवेश का अधिकार केवल सेवायत परिवार के सदस्यों को ही है। इसलिए बाहरी व्यक्ति न तो प्रवेश ही करता है और न ही भोग तैयार करने में मदद कर सकता है। हलवाई केवल ठाकुरजी के भोग के लिए पकवान तैयार करता है।
कच्ची रसोई की परंपरा
ठाकुरजी का भोग तैयार करने के लिए सेवाधिकारी परंपरा का निर्वहन खुद ही करता है। ऐसे में अनेक सेवायत ऐसे भी हैं, जिन्हें रसोई तैयार करने का प्रशिक्षण नहीं मिला है। तो सेवायत समाज का ही कोई एक सेवायत उस दिन सेवाधिकारी की सहायता करके ठाकुरजी की कच्ची रसोई तैयार करता है। जिसके लिए सेवाधिकारी द्वारा ठाकुरजी की कच्ची रसोई तैयार करने वाले सेवायता को उसका भुगतान करता है। जबकि अधिकतर सेवायत परिवार के बड़े लोगों के साथ ही मंदिर की रसोई में ठाकुरजी का प्रसाद तैयार करने का प्रशिक्षण लेते हैं।
कच्चे प्रसाद में बनते हैं ये व्यंजन
ठाकुर बांकेबिहारीजी के कच्चे प्रसाद में सेवायतों द्वारा तैयार किए जाने वाले व्यंजन में दाल, कड़ी, सूखी सब्जी, रसीली सब्जी, तीन तरह के सादा, खट्टू, मीठे चावल, दो तरह की सादा व मिस्सी रोटी, आलू के परांठे, मिस्सा परांठा, दूधभात, खीर, मुठिया के लड्डू, अचार, चटनी, रायता, पापड़ आदि तैयार होता है।
ये पकवान तैयार करता है हलवाई
ठाकुर बांकेबिहारीजी के भोग के लिए हलवाई पकवान तैयार करता है। इसमें चार प्रकार की सब्जी, पूड़ी, बेड़ई, कचौड़ी, समोसा, दहीबड़ा, गुलाब जामुन, बूंदी लड्डू, रबड़ी, चंद्रकला, बूंदी सेब, चार प्रकार के पकौड़े एवं उत्सव के अनुसार अर्पित होने वाली मिठाई।
ठाकुरजी की कच्ची रसोई का प्रसाद सेवाधिकारी अपने हाथ से करता है। कई सेवायत ऐसे भी हैं, जो रसोई तैयार नहीं कर सकते। इस कारण दूसरे सेवायतों की मदद ली जाती है। लेकिन, कच्चा प्रसाद तो सेवायत ही तैयार करता है। किसी सेवायत की सेवा हो और उसे प्रसाद तैयार करना नहीं आता तो सेवायत परिवार का ही कोई दूसरा सदस्य ठाकुरजी का कच्चा प्रसाद तैयार करेगा। जिसका सेवाधिकारी भुगतान भी करता है। -दिनेश गोस्वामी, सदस्य: उच्चाधिकारी प्रबंधन समिति।

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