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    Banke Bihari Mandir: ताकि ठाकुरजी काे न लगे नजर, इसलिए होती है तीन बार आरती, पढ़ें मंगला आरती न होने की वजह

    By Vipin ParasharEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Wed, 14 Dec 2022 07:50 AM (IST)

    Mathura News साल में एक ही दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर होती है आराध्य की मंगला आरती। दिन में होती तीन आरती लीन हो जाते हैं श्रद्धालु। बांकेबिहारी के दर्शन के लिए रोजाना हजारों श्रद्धालु तीर्थनगरी आते हैं। नजर से बचाने के लिए हाेती है तीन बार आरती।

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    Mathura News: बांकेबिहारी मंदिर में हर रोज हजारों श्रद्धालु अपने आराध्य को निहारते हैं।

    संवाद सहयोगी, वृंदावन-मथुरा। तीर्थनगरी वृंदावन की बात ही निराली है, यहां के हर मंदिर, मठ और आश्रम में भोर में चार से पांच बजे के बीच ठाकुरजी की मंगला आरती होती है। लेकिन, इसी नगरी में जिन ठा. बांकेबिहारी के दर्शन को सात समंदर पार से भक्त आते हैं, वहां मंगला आरती नहीं होती। केवल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात जन्मोत्सव के दौरान मंगला आरती की जाती है।

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    नजर उतारने के लिए होती है आरती

    आराध्य की आरती उनकी नजर उतारने के लिए श्रृंगार, राजभोग और शयनभोग के समय की जाती है। मंदिर में खासियत ये भी है कि यहां केवल तीन बार ही ठाकुरजी की आरती उतारी जाती है। सभी मंदिरों में दिन में चार बार आरती होती है। ठाकुरजी का श्रृंगार होने के बाद उनकी श्रृंगार आरती होती है। फिर ठाकुरजी को जब राजभोग परोसा जाता है। भोग ग्रहण करने के बाद उनकी आरती होती है। इसे राजभोग आरती का नाम दिया गया है। शाम को मंदिर के पट बंद होने के बाद ठाकुरजी सोते हैं। पट बंद होने से पहले ठाकुरजी की आरती उतारी जाती है, तो इसे शयनभोग आरती कहते हैं।

    आराध्य की आरती तीन बार

    मंदिर सेवायत गोपी गोस्वामी ने बताया यूं तो आरती उतारना दैनिक क्रियाओं में शामिल है। लेकिन, ठाकुरजी जब भक्तों को दर्शन देते हैं, तो कई भक्तों की कुटिल नजर ठाकुरजी को न लग जाए। इसके लिए आराध्य की आरती उतारी जाती है। इसी परंपरा का निर्वहन हर मंदिर में होता है।

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    इसलिए नहीं होती मंगला आरती

    ठा. बांकेबिहारीजी का प्राकट्य निधिवन राज मंदिर में संगीत सम्राट स्वामी हरिदास की साधना से प्रसन्न होकर विक्रम संवत 1567 में हुआ। इसके बाद स्वामी हरिदास निधिवन राज मंदिर में ही अपने आराध्य से लाड़-लड़ाते रहे। मान्यता है कि ठा. बांकेबिहारीजी आज भी निधिवन राज मंदिर में नित रात में श्रीराधाजी और सखियों संग रासलीला रचाते हैं। इसलिए ठा. बांकेबिहारीजी रात के तीसरे प्रहर मंदिर पहुंचकर विश्राम करते हैं। यही कारण है कि मंदिर के सेवायत ठाकुरजी को भाेर में मंगला आरती के लिए उठाते नहीं हैं। जब ठाकुरजी पूरा श्रृंगार करके भक्तों को दर्शन देते हैं, तो उनकी श्रृंगार आरती उतारी जाती है।