Banke Bihari Mandir: जगमोहन खाली, वीआईपी कटघरा का दायरा बढ़ाया... कैसा रहा बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन का दिन?
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में जगमोहन क्षेत्र में बैरिकेडिंग लगाने से विवाद हो गया। वीआईपी कटघरा बढ़ने से देहरी पूजन की सदियों पुरानी परंपरा ठप हो गई, जिससे श्रद्धालुओं और सेवायतों में रोष है। सेवायतों ने इसे धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बताया और कोर्ट जाने की चेतावनी दी। मंदिर में दान चोरी के आरोप ने भी विवाद को और बढ़ा दिया।

बांकेबिहारी मंदिर।
संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। श्री बांकेबिहारी मंदिर में शनिवार को गर्भग्रह के बाहर जगमोहन में शुक्रवार रात लगाई गई बैरिकेडिंग ने हंगामा खड़ा कर दिया। मंदिर के जगमोहन क्षेत्र को बंद करने के बाद वीआईपी कटघरा पांच गुणा तक बढ़ा दिया गया। मुख्य देहरी तक जाने के रास्ते पर रोक लगाए जाने से सदियों पुरानी देहरी पूजन परंपरा पहली बार ठप हो गई। भीड़ के दबाव, रस्सों और बंद रास्तों के बीच श्रद्धालु 20-25 फीट दूर से ही बिहारीजी के दर्शन करने को मजबूर रहे।
श्रद्धालुओं से भरा रहने वाला जगमोहन खाली नजर आया, जबकि आंगन में जगह कम पड़ने से मंदिर में अफरातफरी का माहौल रहा। बताया जा रहा है कि सेवायतों का कलश भी नहीं रखने दिया गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्चाधिकार प्रबंधन समिति ने एकतरफ महिलाएं और दूसरी तरफ पुरुषों के दर्शन करने की व्यवस्था की थी, लेकिन भीड़ के कारण यह व्यवस्था भी ध्वस्त नजर आई।
वीआईपी कटघरा का दायरा बढ़ाया, सदियों पुरानी रीति पर संकट से सेवायतों में रोष
शनिवार की सुबह मंदिर के पट खुलने के समय पौने नौ बजे सेवायतों को मंदिर के गेट पर ही रोक दिया गया। इसको लेकर सेवायतों ने खासा विरोध जताया। उनका कहना है कि यह कदम न केवल धार्मिक परंपरा, बल्कि सेवायतों के सेवा-पूजा के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है।
सेवायत शैलेंद्र गोस्वामी, श्रीवर्धन गोस्वामी, बब्बू गोस्वामी के प्रतिनिधि शशांक गोस्वामी सहित सभी ने एक स्वर में कहा कि देहरी पूजन पीढ़ियों से चलती आ रही परंपरा है। यशोदा माता, स्वामी हरिदास, यहां तक कि अकबर के समय से भी देहरी पूजन की परंपरा जीवित रही। पहली बार इसे रोका गया है। यह निर्णय न तो समिति में रखा गया और न किसी बैठक में एजेंडा बना। यह मंदिर की मूल सेवा-पद्धति से छेड़छाड़ है।
सेवायतों ने कहा कि जगमोहन बंद करने का कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ। नई बैरिकेडिंग लगने से पुरुष–महिला दोनों कटघरे खत्म हो गए, भीड़ को रोका नहीं गया और मंदिर के अंदर जगह कम होने के कारण धक्कामुक्की की स्थिति बन गई।
उच्चाधिकार प्रबंधन समिति ने जगमोहन में प्रवेश व देहरी पूजन पर लगाई रोक
इसी बीच मंदिर में एक और घटना ने विवाद बढ़ा दिया। सुबह करीब साढ़े दस बजे एक टू स्टार राजस्थान सिक्योरिटी गार्ड वीआइपी कटघरे में श्रद्धालुओं द्वारा दिए जा रहे दान को अपनी जेब में रखते हुए दिखे। सेवायतों का आरोप है कि विरोध पर भी उसे नहीं रोका गया। बल्कि उसे वहां से जाने दिया गया। बाद में पुलिस किसी अन्य युवक को थाने ले गई। उसका कहना था कि चोरी करने वाला कोई और है, उसे फंसाया जा रहा है। इस पर भी मंदिर परिसर में हंगामा हुआ।
देहरी पूजन बंद करना धार्मिक अधिकार का उल्लंघन
सेवायतों ने कहा देहरी पूजन बंद करना धार्मिक अधिकार का उल्लंघन है। शैलेंद्र गोस्वामी ने बताया कि वे डीएम से भी मिलने गए थे, वह भी इस निर्णय के बारे में कुछ नहीं बता सके। सेवायतों का कहना है कि यदि व्यवस्था बहाल नहीं हुई तो हमें कोर्ट की शरण लेनी पड़ेगी। दूसरी ओर, विजय कृष्ण गोस्वामी ने आशंका जताई कि लगता नहीं कि देहरी पूजन फिर चालू कराया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में भी अनावश्यक दखल दिया जा रहा है।
श्रीवर्धन गोस्वामी ने कहा कि सेवायत किसी भी सही व्यवस्था का समर्थन करते हैं, लेकिन यह निर्णय अधिकार समाप्त करने वाला लगता है। दूसरी तरफ, समिति के सदस्य दिनेश गोस्वामी का कहना है कि व्यवस्था ऐसी हो, जिससे श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन मिलें। वीआईपी कटघरे का आकार बढ़ा है तो वीआपी पर्ची सुविधा बहाल की जानी चाहिए, ताकि भीड़ संतुलित रहे। अगर बैठक में यह मुद्दा आता है तो अपने विचार रखूंगा।
क्या परंपरा बचेगी या प्रशासनिक आदेशों के बीच दम तोड़ देगी
मंदिर में शुक्रवार रात लगाई गई बैरिकेडिंग से शनिवार को हालात ऐसे बने कि श्रद्धालु चौखट, देहरी और जगमोहन तीनों स्थानों से वंचित रहे। जहां युगों से पूजा हुई, वहीं कल पहली बार रस्से और बैरिकेडिंग की दीवारें खड़ी थीं। श्रद्धालु तड़पते रहे, सेवायत पहुंच नहीं पाए और परंपरा कटघरों में कैद हो गई।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।