Chaturmas 2025: चातुर्मास में ब्रज में बरस रहा अमृत, ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा को बढ़े आस्था के पग
ब्रज में चातुर्मास के दौरान श्रद्धा का अमृत बरसता है। मान्यता है कि इस दौरान सभी देवी-देवता ब्रज में निवास करते हैं जिससे चौरासी कोस की परिक्रमा का महत्व बढ़ जाता है। श्रद्धालु दूर-दूर से आकर इस परिक्रमा में भाग लेते हैं और भगवान कृष्ण और राधा रानी के जयकारे लगाते हैं। यह परिक्रमा तीन राज्यों से होकर गुजरती है और भक्तों को दिव्य आनंद की अनुभूति कराती है।

जागरण संवाददाता, मथुरा। कान्हा का ब्रज जितना अनूठा है, उतने ही निराले यहां के हर उत्सव हैं। ब्रज के सावन की यहां बात निराली है तो चातुर्मास में अमृत बरसता है। चातुर्मास शुरू हुआ तो सावन की रिमझिम फुहारों के बीच श्रद्धालु चौरासी कोस की परिक्रमा के लिए श्रद्धा के पग बढ़ा रहे हैं। मुख पर कुछ है तो बस कान्हा और राधेरानी का जयघोष।
ब्रज का चातुर्मास यूं ही महत्वपूर्ण नहीं है। मान्यता है कि चातुर्मास में सभी देवी-देवता ब्रज में ही प्रवास करते हैं। ऐसे ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा का महत्व अनुपम हो जाता है। छह जुलाई से शुरू चातुर्मास एक नवंबर तक चलेगा।
10 जुलाई तक गोवर्धन में मुड़िया पूर्णिमा की धूम रही, तो अब चातुर्मास में ब्रज चौरासी कोस की यात्रा शुरू हो गई। क्या युवा, क्या बुजुर्ग और क्या दिव्यांग। कोई बैसाखी के सहारे यात्रा पूरी करता है, कोई लाठी का सहारा लेता है।
मान्यता है कि ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा से मनुष्य को चौरासी योनियों से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि परिक्रमा मार्ग पर अमृत वर्षा हो रही है।
प्रख्यात ज्योतिषाचार्य कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के आह्वान पर चार माह तक सभी देवी देवता ब्रज में निवास करते हैं। इसलिए इन दिनों में चौरासी कोस की परिक्रमा का महत्व बढ़ जाता है।
चातुर्मास में आनंद इसलिए भी बरसता है कि ब्रज के मंदिर में आराध्य हिंडोले में विराजमान होकर दर्शन देते हैं। ये अपने आराध्य के प्रति आस्था ही है कि सभी कामकाज छोड़कर श्रद्धालु पुण्य कमाने के लिए परिक्रमा करने आते हैं।
दिन की परिक्रमा के बाद रात में जहां थकान होती है, वहीं विश्राम होता है। ज्यादातर श्रद्धालु खाना साथ लेकर चलते हैं, तो कुछ पड़ाव स्थल पर बनाते भी हैं। भरतपुर से आए राम हुजूर और गौतम पिछले पांच वर्ष से नियमित परिक्रमा के लिए आते हैं।
वह कहते हैं कि हमें चातुर्मास शुरू होने का बेसब्री से इंतजार रहता है। राम हुजूर कारपेंटर हैं और गौतम बेल्डिंग का काम करते हैं। चातुर्मास शुरू होते ही अपना का बंद कर परिक्रमा के लिए निकल पड़ते हैं। रविवार को भी रिमझिम फुहारों के बीच परिक्रमा लगाते रहे।
तीन राज्यों से गुजरती है यात्रा
ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान और हरियाणा की सीमा से होकर भी गुजरता है। अकेले मथुरा में ही 37 पड़ाव स्थल हैं। परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु इन पड़ाव स्थल पर रात्रि विश्राम करते हैं।
परिक्रमा के लिए पूरे देश से आते हैं श्रद्धालु
ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा के पूरे देश से परिवार के साथ श्रद्धालु आते हैं। ग्वालियर से पत्नी शकुंतला के साथ परिक्रमा को आए दिनेश कहते हैं कि ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा में जो आनंद मिलता है, वह कहीं और नहीं।
दस वर्षों से चातुर्मास में पत्नी के साथ निरंतर परिक्रमा को आते हैं। वह कहते हैं। हमें पैदल परिक्रमा में 15 से बीस दिन लगते हैं। जो दिव्य अनुभूति होती है। उसे शब्दों बयां करना मुश्किल है।
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