हाई कोर्ट ने कहा- मकान मालिक के हिसाब से किरायेदार को चलना चाहिए, जरूरत पर खाली करनी होगी प्रॉपर्टी
(Allahabad High Court) इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि किरायेदार को मकान मालिक की मर्जी के हिसाब से चलना चाहिए। अगर मकान मालिक को अपनी जरूरत के लिए संपत्ति चाहिए तो किरायेदार को उसे खाली करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि मकान मालिक की जरूरतें वास्तविक हैं या नहीं यह देखना भी जरूरी है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजित कुमार ने जुल्फिकार अहमद ने की।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि किरायेदार आमतौर पर मकान मालिक की मर्जी पर निर्भर होता है। अगर मकान मालिक अपनी जरूरत के लिए चाहे तो उसे संपत्ति छोड़नी होगी। किरायेदार के खिलाफ फैसला देने से पहले कोर्ट को यह देखना चाहिए कि मकान मालिक की जरूरतें वास्तविक हैं या नहीं।
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजित कुमार ने जुल्फिकार अहमद व कई अन्य की याचिका खारिज करते हुए की है। कोर्ट ने कहा, ‘किरायेदार को मकान मालिक की मर्जी पर निर्भर होना चाहिए, क्योंकि जब भी मकान मालिक को अपने निजी इस्तेमाल के लिए संपत्ति की जरूरत होगी तो उसे छोड़ना होगा।
जब वास्तविक आवश्यकता और तुलनात्मक कठिनाई मकान मालिक के पक्ष में हो तो संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। मुकदमे से जुड़े तथ्यों के अनुसार, मालिक ने निजी जरूरत के आधार पर दो दुकानों को खाली करने का आवेदन किया था।
मकान मालिक का इरादा उक्त दुकानों के परिसर में मोटर साइकिल और स्कूटर की मरम्मत का काम करने के लिए एक दुकान खोलने का था। विहित प्राधिकारी ने दुकान खाली करने के आवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि वास्तविक आवश्यकता और तुलनात्मक कठिनाई मकान मालिक के पक्ष में थी।
हाई कोर्ट ने की ये टिप्पणी
किरायेदार की अपील खारिज कर दी गई। इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने कहा, वैकल्पिक आवास का प्रश्न, हालांकि प्राधिकरण के लिए निर्णय लेने के लिए अनिवार्य है, लेकिन इसका उत्तर प्रत्येक मामले के तथ्यों के आधार पर दिया जाएगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उत्तर इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रकार का वैकल्पिक आवास उपलब्ध है।
इसकी उपयुक्तता, साथ ही अन्य कारक जैसे कि मकान मालिक के परिवार का आकार, क्या आवास मकान मालिक के व्यवसाय को चलाने के लिए पर्याप्त है। मकान मालिक हमेशा यह तय करने में सबसे अच्छा मध्यस्थ होगा कि कौन सा आवास उसके व्यवसाय के लिए सबसे उपयुक्त होगा। माना गया कि नियम, 1972 की धारा 16(1)(डी) के तहत भी निर्धारित प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश सही था।
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