Air Pollution: मथुरा से दिल्ली तक की हवा बिगड़ी, जिले में काम आई सख्ती, 10 दिन में पराली जलाने पर लगा विराम
मथुरा में जिला प्रशासन और कृषि विभाग की सख्ती के कारण पराली जलाने की घटनाओं पर लगाम लगी है। पिछले दस दिनों में पराली जलाने का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। 16 नवंबर को सैटेलाइट के माध्यम से 118 घटनाएं चिन्हित की गई थीं, जिनमें अब कोई वृद्धि नहीं हुई है।

सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।
जागरण संवाददाता, मथुरा। जिला प्रशासन और कृषि विभाग की सख्ती काम आई है, कम से कम अब पराली के कारण वायु प्रदूषण नहीं हो रहा है। एक समय जहां जिला पराली दहन में शीर्ष पर था, वहीं पिछले 10 दिन में पराली जलाने की एक भी घटना सामने नहीं आई है।
16 नवंबर को सैटेलाइट के माध्यम से जिले में 118 घटनाएं चिन्हित की गई थीं और फिलहाल उमें कोई वृद्धि नहीं हुई है।
जिले में पराली दहन रोकने का अभियान 15 सितंबर से शुरू किया गया था। शुरूआती 15 दिन तो जिला पराली दहन में शीर्ष पर था। उसके बाद से लगातार पराली जलाने की घटनाओं में कमी आने लगी। तब से लेकर 16 नवंबर तक 118 घटनाओं में पराली जलाने की पुष्टि हुई।
इसके बाद 23 नवंबर तक पराली जलाने की एक भी घटना जिले में चिन्हित नहीं की गई है। पराली जलाने की आखिरी दो घटना 16 नवंबर को हुई थी। इसके बाद से एक भी घटना नहीं हुई है। इसका एक कारण प्रशासन और कृषि विभाग की सक्रियता है।
पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को जागरूक किया गया। इसके बाद भी जहां पराली जली, वहां कार्रवाई की गई। पराली जलाने वालों पर एफआइआर दर्ज होने के साथ उनको थाने पर बिठाया गया।
जिले भर में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए चलाए गए अभियान में करीब साढ़े तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जिसमें ढाई लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया।
एक दूसरा कारण यह भी है कि जिले में अब धान की पैदावार की कटाई का पूरा हो गई है। इसलिए फसल अवशेष जितना निकलना था, उतना निकल चुका था। अधिकांश कृषि क्षेत्रों में इस समय आलू या गेहूं बोआई हो रही है। कई खेतों में जुताई की जा चुकी है।
जिला कृषि अधिकारी आवेश कुमार सिंह ने बताया, पराली जलाने की घटनाएं अब जिले में रुक चुकी हैं। 16 नवंबर के बाद से कोई नई घटना नहीं आई है। फसल अवशेष संबंधी पैदावार का सीजन भी निकल चुका है। अब खेतों में आलू, गेहूं पैदावार हो रही है।

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