श्मशान घाट बना योगीराज की योगस्थली
रसिक शर्मा, गोवर्धन: योगेश्वर ने कर्म और योग का संदेश देने के लिए ब्रज भूमि को चुना तो उनकी लीलाभूम
रसिक शर्मा, गोवर्धन: योगेश्वर ने कर्म और योग का संदेश देने के लिए ब्रज भूमि को चुना तो उनकी लीलाभूमि में एक योगीराज श्मशान में योग की अलख जगा रहे हैं। उनकी क्लास में जगह पाने को विदेशियों में भी होड़ रहती है। हर साल उनके यहां आधा सैकड़ा विदेशी योग की शिक्षा लेने आते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने भले ही 21 जून को योग दिवस घोषित किया हो। मगर योगीराज की धरा पर 'सिद्ध सिद्धांत योग अकादमी' पिछले 24 सालों से योग की मशाल जलाए है। गोवर्धन में मुकुट मुखार¨वद मंदिर के समीप भरतपुर के राजघराने के श्मशान स्थल पर बनी गंगा बाग की कोठी आध्यात्म योग की साधना स्थली बनी हुई है। कोठी के आसपास छाया सन्नाटा योग की कक्षाओं से टूटता नजर आता है। 'सिद्ध सिद्धांत योग अकादमी' में आकर योग का प्रशिक्षण लेने वालों में दुनिया के अनेक देशों के नागरिक शामिल हैं। यूक्रेन के प्रसिद्ध योग शिक्षक पावेल खुद योग की बारीकियों का यहां अध्ययन करके गए हैं और प्रतिवर्ष कुछ नया सीखने आधा सैकड़ा से अधिक विदेशी डेरा डाले रहते हैं। अकादमी के संस्थापक शैलेन्द्र शर्मा कनाडा, रूस, अमेरिका से आए योग प्रशिक्षुओं को योग की बारीकियां सिखा रहे हैं। वह कहते हैं कि योग के प्रथम गुरु भगवान श्रीकृष्ण हैं। योगाभ्यास के लिए योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली गोवर्धन सर्वोपरि है तथा दुनिया में इससे बेहतर स्थान कोई हो ही नहीं सकता। श्रीकृष्ण ने गीता के रूप में शुद्ध योग का ही उपदेश दिया है। रूस से योग सीखने आए कात्या मोसिन ने बताया कि क्रिया योग के माध्यम से समाधि तक प्राप्त करने के लिए क्रिया योग सीखने आते हैं।
इतिहास के झरोखे से: मुकुट मुखार¨वद मंदिर के समीप गंगा बाग वाली कोठी में1993 में शिवरात्रि पर सिद्ध सिद्धांत योग अकादमी की स्थापना हुई थी। इसका उद्देश्य सच्चे जिज्ञासुओं को योग के रहस्यमय पहलुओं को सिखाना है। आचार्य जी की साधना स्थली से अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, यूक्रेन, हालेंड, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका आदि तमाम देशों के शिष्य योग की शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं। विदेशी पाशा, इन्हा, मरीना, स्वेटा प्रशिक्षण लेकर विदेशों में योग की रोशनी फैला रहे हैं।