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    तिरुपति से गोवर्धन को चल पड़े भगवान संकर्षण

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 30 Apr 2017 12:43 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, वृंदावन: दक्षिण भारत की तिरुमाला पर्वत श्रृंखला से ब्रज के राजा दाऊजी महाराज का अन

    तिरुपति से गोवर्धन को चल पड़े भगवान संकर्षण

    जागरण संवाददाता, वृंदावन: दक्षिण भारत की तिरुमाला पर्वत श्रृंखला से ब्रज के राजा दाऊजी महाराज का अनुपम, अलौकिक और विशाल विग्रह तराशा गया है। संकर्षण भगवान का ये श्री विग्रह अब उत्तरभारत में न केवल दक्षिण संस्कृति की पताका फहराएगा। बल्कि तिरुमाला की पहाड़ियों से लेकर गिरिराज पर्वत की कंदराओं तक की दूरी को भी आस्था की भावनाओं से पाट देगा। करीब 168 वर्ष पहले दक्षिण भारतीय संस्कृति को स्थापित करने की शुरुआत रंगदेशिक स्वामी ने की थी, तो अब 'द ब्रज फाउंडेशन' ने इसी कड़ी में नया इतिहास रचने की पहल की है।

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    दक्षिण भारत के सम्मानित विरक्त संत श्रीमन्नारायण चिन्ना जीयर स्वामीजी के सौजन्य से यह दिव्य विग्रह ब्रज में पधार रहा है। ब्रज मंडल के सबसे ऊंचे और विशाल विग्रह की शुभयात्रा अक्षय तृतीया के दिन आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी की तिरुमला पहाड़ियों से प्रारंभ हो चुकी है। दक्षिण भारत के सुप्रसिद्ध शिल्पशास्त्री दग्गुपट्टी नागवरा प्रसाद के कुशल निर्देशन में 'तिरुपति बालाजी देवस्थानम् ट्रस्ट' द्वारा प्रशिक्षित 22 शिल्पशास्त्रियों ने एक वर्ष रात-दिन मेहनत करके काले ग्रेनाइट पत्थर को तराशकर श्री संकर्षण भगवान का यह दिव्य विग्रह तैयार किया है। दाऊजी महाराज को ब्रज आने का न्यौता देने गए 'द ब्रज फाउंडेशन' के अध्यक्ष विनीत नारायण को शिल्पशास्त्रियों ने बताया कि यूं ही किसी पत्थर को विग्रह के रूप में नहीं तराशा जाता। शिल्पशास्त्र के अनुसार पुरुष और स्त्री प्रकृति के पत्थर अलग-अलग होते हैं। पुरुष प्रकृति के पत्थर को ही संकर्षण भगवान या तिरुपति बालाजी का विग्रह बनाने के लिए चयन किया जाता है। विग्रह का वजन 23 टन है, इसकी अनुमानित लागत 50 लाख रुपये है। विग्रह की ऊंचाई 24 फीट है।

    आन्यौर में स्थापित होगा विग्रह

    हैदराबाद के डॉ. रामेश्वर राव और मुबंई के 'जमनालाल बजाज फाउंडेशन' के आर्थिक सहयोग से द ब्रज फाउंडेशन द्वारा गोवर्धन के आन्यौर गांव में जीर्णोद्धार किए जा रहे संकर्षण कुंड की परिधि में भगवान के इस विग्रह स्थापना 12 फीट ऊंचे पोडियम पर होगी। इस तरह विग्रह की कुल ऊंचाई 36 फीट हो जाएगी। पोडियम का निर्माण दिल्ली की स्ट्रक्चरल इंजीनिय¨रग टीम ने किया है। जिसमें 4 टन लोहा और भारी मात्रा में कंक्रीट प्रयुक्त हुआ है। पोडियम जमीन के भीतर 11 मीटर यानि लगभग 40 फीट गहरा रखा गया है। ऐसा करना इसलिए जरूरी था ताकि कुंड के पानी की सीलन से और विग्रह के वजन से कभी उसका आधार विचलित न होने पाए।

    आठ दिन में पूरी होगी दो हजार किमी की यात्रा

    तिरुमला पर्वत श्रृंखला से गोवर्धन पर्वत तक की लगभग 2000 किलोमीटर की यह दिव्य ऐतिहासिक यात्रा आठ दिन में पूरी होने की संभावना है। दाऊजी महाराज इस यात्रा में हैदराबाद, आदिलाबाद, नागपुर, भोपाल, गुना, शिवपुरी, ग्वालियर, आगरा, मथुरा होते हुए गोवर्धन पहुंचेंगे। जगह-जगह विग्रह का भव्य स्वागत और पूजन आदि किया जाएगा।

    तराशा जा रहा विश्व का सबसे ऊंचा विग्रह

    श्री दग्गुपट्टी नागवरा प्रसाद संकर्षण भगवान के विग्रह का निर्माण श्री दग्गुपट्टी नागवरा प्रसाद निर्देशन में हुआ है। उन्होंने 'तिरुपति बालाजी देवस्थानम् ट्रस्ट' के शिल्पशास्त्र विद्यालय से शिल्पशास्त्री की शिक्षा ग्रहण की थी। वे चिन्नाजियर स्वामी के दीक्षित शिष्य हैं और आजकल हैदराबाद में स्वामी जी के आश्रम में स्थापित होने वाले संत श्री रामानुजाचार्य जी के 216 फीट ऊंचे विग्रह का निर्माण चीन में कारीगरों से करवा रहे हैं। आसन पर बैठे आचार्य का यह विग्रह तांबे व अन्य धातुओं के मिश्रण से बनाया जा रहा है। जिसको 1500 हिस्सों में तैयार कर पानी के जहाज से हैदराबाद लाया जाएगा। इस विग्रह की लागत करीब 250 करोड़ रुपये है। जीयर स्वामी के इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत लगभग 1000 करोड़ रुपये आएगी। यह विश्व का दूसरा सबसे ऊंचा विग्रह होगा। जिस समय संकर्षण भगवान आन्यौर पधारेंगे, तब उन्हें पोडियम पर खड़ा करने के लिए श्री प्रसाद अपने 5 सहायकों के साथ आन्यौर में उपस्थित रहेंगे।