Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अस्थि चर्म मय देह यह, ता सौं ऐसी प्रीति

    By Edited By:
    Updated: Sat, 24 Sep 2016 10:53 PM (IST)

    मथुरा :'अस्थि चर्म मय देह यह, ता सौं ऐसी प्रीति। नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत'। पत्नी की

    मथुरा :'अस्थि चर्म मय देह यह, ता सौं ऐसी प्रीति। नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत'। पत्नी की इन उलाहना भरी बातों से तुलसीदास ने सन्यासी बन राम चरितमानस की रचना कर डाली। रामलीला सभा के तत्वावधान में शनिवार से मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्री राम की लीलाओं का महोत्सव शुरू हो गया। शाम को श्रीकृष्ण जन्मस्थान लीला मंच पर तुलसी चरित्र लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया। लीला देख श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लीला में तुलसी दास अपनी पत्नी के मायके चले जाने पर वियोग सहन नहीं कर सके। मिलने की शीघ्रता में तुलसीदास उफान लेती नदी को शव पर बैठकर पार कर गए। सर्प को रस्सी समझ पत्नी के सामने पहुंचकर अचंभित कर दिया । इस पर पत्नी रत्ना के व्यंग्य ने ही उनको सन्यासी बना दिया। तुलसीदास को श्रीराम से मिलने इच्छा ने प्रेत द्वारा हनुमानजी से मिलन कराया। सभा के मार्गदर्शक गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने आरती उतारी । अनिल, उमेश , बनवारी लाल गर्ग, एड. सर्वेश शर्मा, अशोक बंसल, अशोक गुडेरा, अजय अग्रवाल मास्टर, जुगल ,विपुल पारिक, शंशाक पाठक आदि उपस्थित थे।

    रामलीला में आज

    रविवार को श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर शाम सात बजे से शिव-पार्वती विवाह की लीला होगी।