चीर घाट पर कन्हैया ने दिया था गोपियों को संदेश
जागरण संवाददाता, मथुरा: नगर का कण-कण द्वापरकाल में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का साक्षी है। कुंज गलिय
जागरण संवाददाता, मथुरा: नगर का कण-कण द्वापरकाल में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का साक्षी है। कुंज गलियां और लीला स्थलियां आज भी द्वापर काल के उन अवशेषों के अस्तित्व समेटे हैं, जो आज भी गवाह हैं भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी की लीलाओं का। इन्हीं में शामिल है चीरघाट।
कहा जाता है कि यहां भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना नदी में निर्वस्त्र स्नान कर रहीं गोपियों को सबक सिखाने के लिए उनके चीर यानी वस्त्र हरण कर लिए थे। उल्लेख है कि यमुना महारानी की पवित्रता एवं उनके महत्व को ध्यान में रखते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों का चीर हरण कर लिया और यमुना किनारे स्थित कदंब वृक्ष पर जाकर बैठ गए। आज भी उसी स्थान पर कदंब वृक्ष द्वापरकाल में श्रीकृष्ण द्वारा की गई चीर हरण लीला की गवाही दे रहा है। कहा जाता है कि भगवान ने चीरहरण कर संदेश दिया था कि यमुना महारानी पूज्य हैं, इसलिए यमुना में बिना वस्त्र स्नान नहीं करना चाहिए। कहावत ये भी है कि वृंदावन में कदंब वृक्ष के निकट से बह रहीं यमुना में ब्रज गोपिकाएं प्रतिदिन ब्रह्मामहूर्त में स्नान करतीं और तट पर बालू से कात्यायनी की मूर्ति बनाकर भगवान श्रीकृष्ण को वर रूप में मांगने का वरदान मांगतीं। आराधना करतीं, मंत्र उच्चारण करतीं थीं। आज भी यमुना किनारे इस कदंब वृक्ष पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर नियमपूर्वक पूजा-अर्चना और चार पहर आरती उतारी जाती है। हजारों श्रद्धालु इस वृक्ष के दर्शन कर मनौती मांगते हैं।
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