कालिया नाग मंदिर का है पौराणिक महत्व
मथुरा (चौमुहां): जैंत में कालिया नाग मंदिर का ब्रज में एक अनूठा पौराणिक महत्व है। माना जाता है कि भग
मथुरा (चौमुहां): जैंत में कालिया नाग मंदिर का ब्रज में एक अनूठा पौराणिक महत्व है। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण से भयभीत होकर कालिया नाग भागने लगा। बाद में श्रीकृष्ण के श्राप से वह पत्थर का बन गया।
मान्यता है कि द्वापर में जब भगवान श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ वृंदावन यमुना तट पर कालीदह घाट के पास गेंद खेल रहे थे, उनकी गेंद यमुना में जा गिरी। गेंद को ढूंढने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना में छलांग लगा दी। यमुना में कालिया नाग अपने परिवार के साथ रहता था। श्रीकृष्ण ने कुछ ही देर में कालिया सांप नाग को नाथ लिया। लेकिन कालिया नाग भयभीत होकर वहां से भागने लगा। श्रीकृष्ण ने उसे रुकने को कहा, मगर वो डर से नहीं रुका। श्रीकृष्ण ने श्राप दिया कि जिस स्थान पर वो पीछे मुड़कर देखेगा, वहीं पर पत्थर का हो जाएगा। गांव के बुजुर्ग राधाचरन बताते हैं कि जैंत क्षेत्र में उसने पीछे मुड़कर देखा, तो यहीं पर वो पत्थर का हो गया। तभी से यहां पत्थर का सांप बना हुआ है। पहले ये स्थान जीर्ण-शीर्ण हो गया था। पिछले वर्ष द ब्रज फांउडेशन के सहयोग से इसका सुंदरीकरण कराया गया। कालिया नाग का भव्य मंदिर बनवाया गया। यहां पर नागपंचमी पर मेला भी लगता है।
नहीं उठा सके थे अंग्रेज
गांव के पूर्व प्रधान जगन्नाथ प्रसाद बताते हैं कि सैकड़ों साल तक पत्थर का नाग उसी स्थान पर खड़ा रहा। इसके बाद धीरे- धीरे जमीन में धंसता गया। ब्रिटिश हुकूमत ने यहां से ले जाने की योजना बनाई। महीनों तक इसकी खुदाई हुई, मगर पत्थर के नाग को बाहर नहीं निकाला जा सका। नाग को उठाने के लिए सैनिक और मशीनों का सहारा भी लिया गया। मगर नाग को नहीं उठा सके। कहा कि नाग को ब्रिटिश हुकूमत से बचाने के लिए लोगों ने रात में उसे कहीं छिपा दिया। सुबह स्थान पर नाग नहीं मिला, तो अंग्रेजों ने पूरे गांव की नाकाबंदी करवा दी, तलाशी के बावजूद नाग नहीं मिला। आजादी के बाद ग्रामीणों ने नाग को पुन: उसी जगह पर रख दिया था।
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