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    रंग में कैसे होरी खेलूं या सांवरिया के संग

    By Edited By:
    Updated: Wed, 24 Feb 2016 11:53 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, मथुरा: 'रंग में कैसे होरी खेलूं या सांवरिया के संग', 'डगर मोरी छोड़ो रे श्याम, छिप ज ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, मथुरा: 'रंग में कैसे होरी खेलूं या सांवरिया के संग', 'डगर मोरी छोड़ो रे श्याम, छिप जाओ के नैनन में', 'या ब्रिज मैं हम कैसे बसें, अनरीत न जात सही, मुख गुलाल मले, अंग बिजोही सौ-सौ बात कही'। यह रसिया गायन श्रद्धालुओं को मदमस्त कर रहे हैं। ब्रज के मंदिरों में जब गुलाल उड़ता है, तो श्रद्धालु होली के रंग में सराबोर हो जाते हैं।

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    बरसाना, द्वारिकाधीश, बलदेव आदि मंदिरों में रसिया गायन पर श्रद्धालु जमकर झूम रहे हैं। बलदेव में भी मंदिर के अंदर और बाहर होली के रसियाओं से श्रद्धा, संस्कृति और संगीत की त्रिवेणी प्रभाहित हो रही है। द्वापरयुग जीवंत हो रहा है। बलदेव में कोड़ामार होली भले ही 25 मार्च को खेली जाएगी, लेकिन होली की बयार अभी से बह रही है। होली के लिए पांच कुंतल टेसू के फूल मंगाए जा रहे हैं। होलिका अष्टक लगते ही फूलों को घोलना शुरू कर दिया जाएगा। हुरंगा के दिन इतना रंग फेंका जाता है कि मंदिर प्रांगण लबालब हो जाता है।

    बलेदव मंदिर में ढप की थाप और मंजीरे की धुन पर होने वाले रसिया गायन श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर रहे हैं। कस्बे में चार लोग आपस में मिलते ही होली के रसिया गाना शुरू कर देत हैं। प्रभु बलदेव की नगरी होली के रंग में सराबोर हो रही है। मंदिर में जब गुलाल उड़ता है, तो भक्त इसे भगवान का प्रसाद समझते हैं। जिसके ऊपर यह गुलाल पड़ जाता है वह तो अपने को धन्य समझने लगता है। मंदिर के फर्श से एकत्रित कर भक्त गुलाल को अपने साथ ले जा रहे हैं। एक-दूसरे को प्रेम पूर्वक गुलाल लगा रहे हैं।

    मंदिर के सेवायत राजेंद्र पांडेय ने बताया कि मंदिर में समाज गायन हो रहा है। होली की मस्ती में श्रद्धालु सराबोर हो रहे हैं।

    कोड़ा होली देखने आते हैं देश-दुनिया के लोग

    बलदेव की कोड़ा होली देखने देश-दुनिया से लोग आते हैं। यहां धूलेड़ी के अगले दिन होली खेली जाती हैं। इसमें गोपिकांए गोपों के कपड़े फाड़कर कोड़े बनाती हैं। इन कोड़ों को गोपों पर बरसाती हैं।

    फाग खेलन आए हैं नटवर नंद किशोर

    मथुरा: 'फाग खेलन आए हैं नटवर नंद किशोर', 'कैसे बदरा हो रहे लाल, होरी को रंग उड़न लागौ', 'ब्रज की तु लाल मुकुट वारै' आदि रसिया गायनों ने द्वारिकाधीश में श्रद्धालुओं की मस्ती दुगनी कर दी। श्रद्धालु रसिया गायन सुन झूम उठे। रसिया गायक प्रमोद चतुर्वेदी, छोटे लाल पाठक, चुन्नीलाल पाठक आदि ने जब फाग गायन किया, तो मंदिर में होली की तरंगे झूम उठी। श्रद्धालुओं ने जमकर होली का आनंद लिया।