अनदेखी से हो सकती है मौत, बरतें सावधानी
डायबिटीज के मरीजों की बढ़ने लगी तादाद बचे भी आ रहे चपेट में डाक्टर बोले सावधानी ही बचाव

जासं, मैनपुरी: मेडिकल साइंस में साइलेंट किलर के नाम से जानी जाने वाली डायबिटीज की बीमारी अब और भी ज्यादा खतरनाक होती जा रही है। जिला अस्पताल की ओपीडी रिपोर्ट के अनुसार लगभग हर दसवां व्यक्ति इसकी चपेट में है। करहल निवासी आयुर्विज्ञान संस्थान सैफई के मधुमेह विशेषज्ञ असिस्टेंट प्रोफेसर डा. सुशील यादव का कहना है कि डायबिटीज दूसरी सभी बीमारियों की मूल जड़ है। इसकी वजह से प्रेंक्रियाज में इंसुलिन का बनना बंद हो जाता है, जिससे खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है। पहले अनदेखी और बाद में लापरवाही बरतने पर यह बीमारी आंख, दिल और किडनी के साथ नर्वस सिस्टम पर भी बुरा असर डालती है। इस बीमारी की अनदेखी करने पर मरीजों की मौत भी हो जाती है।
ये हैं सामान्य लक्षण: बार-बार पेशाब आना, भूख और प्यास का लगना, शारीरिक कमजोरी महसूस करना, जल्दी थक जाना, आंखों के आगे अंधेरा छाना या फिर पलकों पर दर्द बने रहना, लीवर में दर्द, शौच मार्ग में खुजली और फिर शौच के दौरान रक्त का आना, त्वचा का बेजान होना आदि डायबिटीज के ही लक्षण हैं।
क्या होता है इंसुलिन: जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डा. जेजे राम का कहना है कि इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन होता है। इसका निर्माण मानव शरीर के अग्नाशय में होता है। हमारा आमाशय कार्बोहाइड्रेट्स को ब्लड सुगर में परिवर्तित करता है। इंसुलिन के माध्यम से यह ब्लड सुगर ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। यदि पेंक्रियाज इंसुलिन बनाना बंद कर दे तो ब्लड सुगर ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होती और इसका असर मानव अंगों पर पड़ने लगता है।
कितना जरूरी है इंसुलिन: डा. यादव का कहना है कि टाइप-1 डायबिटीज में पेंक्रियाज के अंदर इंसुलिन का निर्माण न होने के कारण उन्हें इंसुलिन का इंजेक्शन लेना जरूरी होता है। टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित मरीजों का ब्लड सुगर दवा से काबू में रहता है तो उन्हें इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं होती है। टाइप-2 डायबिटीज के मरीज कभी-कभी हल्का मीठा खा सकते हैं।
डायबिटीज के प्रकार
टाइप-1: इस डायबिटीज में शरीर में इंसुनिल का निर्माण नहीं होता है। यह बहुत कम लोगों को होती है।
टाइप-2: इसमें शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनता। अधिकांश रोगी इसी डायबिटीज से पीड़ित होते हैं।
कोविड मरीजों को ज्यादा सावधानी की जरूरत: डा. यादव का कहना है कि उन लोगों को ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है जो कोविड पाजिटिव हो चुके हैं या फिर पोस्ट कोविड लक्षण से लंबे समय तक जूझते रहे हैं। ऐसे डायबिटिक मरीजों को दूसरी बीमारियों के वायरस जल्दी अपनी चपेट में ले सकते हैं। डायबिटीज की वजह से इम्यून सिस्टम भी कमजोर होने लगता है। ऐसे में सलाह दी जाती है कि डायबिटीज के मरीज समय पर अपनी दवाएं लें और हर दूसरे दिन सुगर लेवल की जांच करते रहें।
डायबिटीज को लेकर कुछ मिथक और सच्चाई
जरूरी है कि मीठा कम मात्रा में खाया जाए, परंतु सिर्फ मीठा खाने से डायबिटीज नहीं होता। यह अनुवांशिक रोग है। यदि परिवार के सदस्य को यह बीमारी है तो बच्चों में भी हो सकती है, परंतु यह सोच गलत है कि परिवार में किसी को यह बीमारी नहीं है तो हमें नहीं होगी। यह जरूरी नहीं है कि शुरुआत में ही मरीज को इसके लक्षण पता चलें। जरूरी है कि समय-समय पर इसकी जांच कराएं। डायबिटीज पीड़ित किसी भी खेल में हिस्सा ले सकते हैं। बशर्ते वे अपना शुगर लेवल नियंत्रित रखें। समस्या कम होने पर मरीज दवा बंद कर देते हैं। यह नुकसानदेह है। बगैर डाक्टरी सलाह के दवा को बंद नहीं करना चाहिए। इंसुलिन के इंजेक्शन लेने से डायबिटीज पूरी तरह ठीक नहीं होता बल्कि नियंत्रित रहता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।