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    बिकने लगा पानी, अब तो बचा लो नीर

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 10 Apr 2022 06:00 AM (IST)

    समूचे जिले में मीठा पानी है। नागरिक इसे सहेजने के बजाय बर्बाद कर रहे हैं। शहर में लाखों लीटर पानी तो वाहनों की धुलाई और बेकार में बर्बाद कर दिया जाता है। लगातार भूगर्भ जल का स्तर गिरना अब चिता का विषय बन गया है। अब तो पानी बिकने भी लगा है। पानी बचाने के लिए शहर के नागरिक ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र के नागरिक भी उदासीन हैं। नौ ब्लाकों में से एक तो डार्क जोन भी घोषित हो चुका है। पानी बचाने को जागरूकता का अभाव भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है।

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    बिकने लगा पानी, अब तो बचा लो नीर

    जासं, मैनपुरी: समूचे जिले में मीठा पानी है। नागरिक इसे सहेजने के बजाय बर्बाद कर रहे हैं। शहर में लाखों लीटर पानी तो वाहनों की धुलाई और बेकार में बर्बाद कर दिया जाता है। लगातार भूगर्भ जल का स्तर गिरना अब चिता का विषय बन गया है। अब तो पानी बिकने भी लगा है। पानी बचाने के लिए शहर के नागरिक ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र के नागरिक भी उदासीन हैं। नौ ब्लाकों में से एक तो डार्क जोन भी घोषित हो चुका है। पानी बचाने को जागरूकता का अभाव भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है।

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    जीवन के लिए सबसे जरूरी जल का स्तर लगातार गिर रहा है। जल स्त्रोत तेजी से घटने व सूखने के साथ प्रदूषित हो रहे हैं। जल प्रदूषण, सूखते जल-स्त्रोत और वर्षा जल का संचयन न हो पाने की चर्चा तो खूब होती है, लेकिन असर कुछ नहीं दिख रहा। शहर और जिले में पीने के मीठे पानी की सरेआम बर्बादी हो रही है। पानी सहेजने को धरातल पर कोई प्रयास नहीं चल रहे हैं। रेन वाटर हार्वेस्टिग पर भी कही जागरूकता नहीं दिखती है। शहर में ही हजारों लीटर पानी नाली और दरवाजों को साफ करने के नाम पर बर्बाद किया जाता है।

    वाहन सर्विस सेंटरों में भी बर्बाद हो रहा पानी

    शहर और कस्बों में 10 दर्जन से ज्यादा वाहन सर्विस सेंटर संचालित हैं, जहां दोपहिया के अलावा कार और ट्रैक्टरों को मीठे पानी से धोया जाता है। धुलाई सेंटर पर प्रतिदिन पीने योग्य पानी का जमकर दुरुपयोग वाहन धुलाई में हो रहा है। 20 से 300 रुपये में गाड़ी धोने के नाम पर हजारों लीटर मीठा पानी बर्बाद कर दिया जाता है। एक अनुमान के अनुसार, एक आम सर्विस सेंटर में कार धुलाई पर तकरीबन 150 से 250 लीटर और दोपहिया वाहन पर 20 से 30 लीटर पानी बहाया जाता है।

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    आरओ बहा रहे हजारों लीटर पानी

    शहर और कस्बों के अलावा अब घरों में आरओ लगे हैं, जो रोजाना टीडीएस कंट्रोल कर हर घर को औसत 10 से 15 लीटर पानी पीने को देते हैं। वहीं 90 फीसदी लोग अंजान हैं कि उनका आरओ दस लीटर पानी के लिए 30 लीटर पानी बर्बाद कर रहा है। भू-जल स्तर गिरने का यही बड़ा कारण है।

    बरनाहल ब्लाक हो गया डार्क जोन

    पानी की कमी का असर जिला के नौ ब्लाकों में से एक पर दिख रहा है। भूगर्भ जल का स्तर नीचे गिरने से बरनाहल ब्लाक को डार्क घोषित किया जा चुका है। पानी की बर्बादी का असर अगले सालों में अन्य ब्लाकों पर देखने को मिल सकता है।

    अनमोल से हो गया 'मोल'

    पानी की बर्बादी आहत करती है। पानी का मूल्य तो पूर्वजों ने समझा, इसे अनमोल बताया। कुओं के दौर में पानी सहेजा जाता था। हैंडपंप और टंकी आने के बाद इसकी बर्बादी शुरू हो गई, इसके बाद तो मोल बिकने लगा। ऐसे ही मीठे पानी की बर्बादी होती रही तो एक दिन यह गोल भी हो सकता है।

    -प्रेम नरायन दुबे, देवी रोड।

    हर किसी को स्वच्छ पानी चाहिए, इसके लिए जागरूकता भी हो रही है। साधन बढ़ने के साथ ही इसका अपव्यय भी होने लगा है। नागरिकों को इसके लिए खुद भी जागरूक होना पड़ेगा। सरकार और प्रशासन केवल प्रयास ही करता है।

    -विनोद कुमार, सीडीओ।