Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    UPSC Success Story: हादसे ने बना दिया दिव्यांग फिर भी नहीं टूटा हौसला, पहली ही बार में क्रैक किया UPSC एग्जाम

    By Dileep SharmaEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Tue, 23 May 2023 11:39 PM (IST)

    UPSC Success Story- दर्दनाक हादसा... दोनों पैर और दायां हाथ गंवाकर आई दिव्यांगता... लगभग एक साल तक अस्पताल के बिस्तर पर स्वस्थ होने का संघर्ष ऊपर से क ...और पढ़ें

    Hero Image
    गरीबी और दिव्यांगता को पराजित कर निकला सफलता का सूरज

    मैनपुरी, जागरण टीम: दर्दनाक हादसा... दोनों पैर और दायां हाथ गंवाकर आई दिव्यांगता... लगभग एक साल तक अस्पताल के बिस्तर पर स्वस्थ होने का संघर्ष, ऊपर से कमजोर आर्थिक स्थिति की बाधाएं। यह परिस्थितियां किसी का भी हौसला तोड़ सकती हैं। परंतु धुन के पक्के मेधावी ने अपने इरादे कमजोर नहीं होने दिए। 18-18 घंटे तक अध्ययन किया। उनका यह परिश्रम मंगलवार को जारी यूपीएससी के परिणाम में रूप में सामने आया। गरीबी और दिव्यांगता को पराजित कर सफलता सूरज चमक उठा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नगर के मोहल्ला घरनाजपुर निवासी सूरज तिवारी ने यूपीएससी में 917वीं रैंक प्राप्त की है। उनके पिता राजेश तिवारी पेशे से टेलर हैं। कपड़ों की सिलाई कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। राजेश तिवारी के तीन बेटे और एक बेटी थी। बड़े बेटे राहुल तिवारी का निधन हो चुका है, जबकि छोटा बेटा राघव तिवारी बीएससी और और बेटी प्रिया बीटीसी कर रही है। 

    बेहद तंगी के बावजूद भी राजेश तिवारी ने अपने बेटे सूरज तिवारी की इच्छानुसार उसे प्रेरित करते हुए पढ़ाते रहे। सूरज तिवारी की प्रारंभिक शिक्षा नगर के महर्षि परशुराम स्कूल में हुई। उन्होंने वर्ष 2011 में हाईस्कूल परीक्षा एसबीआरएल इंटर कॉलेज मैनपुरी से उत्तीर्ण की। 

    इसके बाद आर्थिक परेशानियों के कारण एक साल पढ़ाई नहीं कर पाए। फिर वर्ष 2014 मे इंटरमीडिएट परीक्षा संपूर्णानंद इंटर कालेज अरम सराय बेवर से उत्तीर्ण की थी। इसके बाद में बीएससी में एडमिशन बेवर के महाविद्यालय में प्रवेश लिया।

    गाजियाबाद में हुआ था हादसा

    दूसरे वर्ष की पढ़ाई के साथ-साथ कमाई करने के लिए वह गाजियाबाद प्राइवेट नौकरी करने चले गए। वहां 24 जनवरी 2017 को वह दादरी गाजियाबाद में प्लेटफार्म पर पैर फिसलने से ट्रेन की चपेट में आ गए। उस हादसे में घुटनों से दोनों पैर, कोहनी तक दायां हाथ और बाएं हाथ की दो उंगलियां गंवा बैठे। इसके बाद चार माह तक अस्पताल में रहे और करीब तीन माह तक बेड रेस्ट किया। 

    इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। वर्ष 2018 में उन्होंने जेएनयू दिल्ली में नये सिरे से बीए में प्रवेश लिया। वहां से वर्ष 2021 में बीए पास किया और एमए के प्रवेश ले लिया। बचपन से ही होनहार सूरज तिवारी पढ़ाई के साथ यूपीएससी की तैयारी करते रहे। 

    सूरज तिवारी ने इससे पहले जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फैलोशिप) उत्तीर्ण किया था। सूरज तिवारी 26 साल की उम्र में ही आईएएस बनकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। मंगलवार को परिणाम आते ही घर में खुशी लहर दौड़ गई। क्षेत्र के लोगों ने घर पहुंचकर स्वजन को बधाइयां दीं। 

    दिल्ली से फोन पर सूरज तिवारी ने बताया कि वह परीक्षा की तैयारी के लिए कम से कम आठ घंटे प्रतिदिन पढ़ते हैं। कई दिन पढ़ाई 18 घंटे तक होती थी। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को दिया है।