होम सिग्नल से स्क्रीन पर दिखेगा ट्रेन का मूवमेंट
सिग्नल बदलने की प्रक्रिया इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिग सिस्टम से कम समय में पूरी होगी।
मैनपुरी, जासं। सिग्नल सिस्टम में बदलाव को चल रही प्रक्रिया पूरी होते ही ट्रेनों का संचालन बेहतर हो जाएगा। इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिग सिस्टम के प्रभावी होते ही स्टेशनों पर ट्रेनों की आपरेटिग आटोमैटिक सिस्टम से होगी। होम सिग्नल पर ट्रेन के पहुंचते ही स्टेशन मास्टर को ट्रैक पर ट्रेन का विजुअल नजर आने लगेगा। यह कार्य छह महीने में सभी स्टेशनों पर कराने का प्रयास किया जा रहा है।
शिकोहाबाद-फर्रुखाबाद रेल रूट पर फिलहाल ट्रेनों का संचालन पुराने सिग्नल सिस्टम से हो रहा है। सिग्नल सिस्टम में बदलाव के साथ ही इस ट्रैक पर सभी स्टेशनों पर कम्प्यूटर आधारित नए सिग्नल सिस्टम को लगाया जा रहा है। इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिग की प्रक्रिया के लिए स्टेशनों पर लगाए जा रहे नए सिस्टम से स्टेशन मास्टर को ट्रेन गुजारने के लिए प्वाइंट बनाने की प्रक्रिया में एक क्लिक करना होगा। पहले इस सिस्टम को पूरा करने में पांच से सात मिनट लगते थे। ट्रेन के होम सिग्नल क्रास करते ही स्टेशन मास्टर के पास अलार्म बजेगा। कंट्रोल रूम में लगने वाली एलईडी स्क्रीन पर स्टेशन मास्टर को ट्रेन दिखना शुरू हो जाएगी। ट्रेन का लिक दिखते ही स्टेशन मास्टर को ज्यादा जिददोजहद नहीं करनी होगी। इस सिस्टम में बदलाव के बाद ट्रैक पर कोई दूसरी ट्रेन के खड़े होने की स्थिति में होम सिग्नल पर ही लोको पायलट को लाल बत्ती नजर आएगी। सिग्नल व तकनीकी विभाग द्वारा संयुक्त कार्रवाई कर नए सिस्टम को लगाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। छह महीने में शिकोहाबाद-फर्रुखाबाद रेल रूट पर भोगांव, कोसमा, मैनपुरी, मोटा, नीमकरोरी स्टेशनों पर नए आटोमैटिक कम्प्यूटर आधारित सिस्टम को लगाने की कवायद तेज हो गई है। टोकन के लिए स्टेशन पर नहीं रुकेंगी ट्रेनें
इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिग की प्रक्रिया पूरी होते ही सिग्नल ग्रीन करने की कवायद कुछ सैकंड में पूरी होगी। आटोमैटिक प्रणाली से ट्रेनों को गुजारने के लिए टोकन भी नहीं देना होगा। एक सेक्शन में ट्रेन होने की स्थिति में दूसरी ट्रेन को अगले स्टेशन तक पहुंचने के बाद ही ग्रीन सिग्नल मिलना संभव हो पाएगा। रेलवे के सिग्नल व तकनीकी विभाग के अधिकारी लगातार इस प्रक्रिया की मानीटरिग कर रहे हैं। इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिग का काम आगामी छह महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। नए सिस्टम से ट्रेनों का संचालन पहले से आसान और बेहतर होगा। स्टेशन मास्टरों को जरूरी जानकारी देने के लिए विशेषज्ञों की टीमें आएगी।
विवेक पांडेय, एसएसई सिग्नल, टूंडला