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एक हजार हेक्टेअर में विकसित होंगे चरागाह

बेसहारा गोवंश को मिलेगा भरपूर चारा कराए जाएंगे मुक्त सामाजिक संस्थाएं बना सकेंगी गोशाला गोवंश की बचेंगी जान

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Apr 2021 06:25 AM (IST)Updated: Mon, 26 Apr 2021 06:25 AM (IST)
एक हजार हेक्टेअर में विकसित होंगे चरागाह

जासं, मैनपुरी: जिले में बेसहारा गोवंश का पेट भरने के लिए अब चारे के इंतजाम की भी चिता होगी। एक हजार हेक्टेअर से ज्यादा चरागाह की भूमि जिले में है। चिन्हित कर इसे पशुपालन विभाग को दिया जाएगा। इस भूमि पर सामाजिक संस्थाएं गोवंश के लिए गोशाला बना सकेंगी और चारा भी उगा सकेंगी।

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जिला में छह स्थानों पर सैकड़ों हेक्टेअर भूमि होने के बाद भी कान्हा की प्रिय गाय बेसहारा है। चारा के अभाव में फसलों को खाने वाली गाय ऐसे में किसानों के निशाने पर हैं। मेहनत की फसल को बचाने के लिए किसान इनको स्कूल और अस्पतालों में बंद कर देते हैं तो पीट-पीटकर भगाते भी हैं। भाजपा के सत्ता में आने के बाद गोवंशीय पशुओं का कटान बंद होने से इनकी और बेकदरी होने लगी है। पालक भी दूध दुहने के बाद इनको बेसहारा छोड़ देते हैं।

अब गायों को लेकर प्रशासन सक्रिय हो गया है। पशुचर और चरागाह की तलाश होने लगी हैं। जिले के तमाम स्थानों पर गायों को निशाने पर लेने वाले किसान ही इनके हिस्से की जमीन पर कब्जा कर फसल बो कर कमाई करने में जुटे हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं चलने वाला है। अब प्रशासन को ऐसी सभी भूमि को चिन्हित कर पशुपालन विभाग को सौंपना होगा, जहां गोवंशीय पशुओं के लिए चारे का इंतजाम होगा। यहां चरागाह की भूमि

राजस्व विभाग के आंकड़ों के अनुसार, मैनपुरी के 43 ग्रामों में 379 हेक्टेयर और भोगांव के 14 गांवों में 115 हे. भूमि है. जबकि करहल के 12 गांवों में 119 हेक्टेयर और किशनी के पांच गांवों में 60 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध है. इसके अलावा घिरोर के 31 गांवों में 364 हे. और कुरावली के नौ गांवों में 54 हेक्टेयर चरागाह की भूमि है।

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राजस्व विभाग जिला में मौजूद चरागाह और पशुचर की भूमि को चिन्हित कराने के बाद विभाग को सौपेंगा। इस पर गायों की जीवन रक्षा को काम होंगे। कुछ जमीन विभाग को मिली भी है।

डा. पीके शर्मा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।


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