कुत्तों की तरह भौंका, पानी देखकर चीखा और चली गई जान; यूपी में 17 साल के दिव्यांग की मौत
मैनपुरी में आवारा कुत्तों का आतंक जारी है सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। हाल ही में रेबीज से पीड़ित एक मानसिक रूप से विकलांग किशोर की मौत हो गई। बुखार से पीड़ित किशोर अजीब व्यवहार कर रहा था उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। ग्रामीणों ने पोस्टमार्टम कराए बिना ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
जागरण संवाददाता, मैनपुरी। आवारा कुत्तों का आतंक थामने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश धरातल पर उतर नहीं पाए हैं। शुक्रवार को रेबीज का शिकार किशोर जान गंवा बैठा। इधर-उधर घूमने वाला मानसिक दिव्यांग अनाथ किशोर एक दिन पहले तेज बुखार में तप रहा था। रात में वह कुत्तों की तरह भौंका और पानी देखकर चीखने लगा। ग्रामीण उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। चिकित्सक ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया। वहां ले जाते समय रास्ते में किशोर ने दम तोड़ दिया। ग्रामीणों ने बिना पोस्टमार्टम कराए ही अंतिम संस्कार कर दिया।
17 वर्षीय मानसिक दिव्यांग किशोर अमन खान दो वर्ष का था, तभी उसकी मां मंतशा बेगम की मृत्यु हो गई थी। पांच वर्ष की उम्र में पिता इम्तियाज खान घर बेचकर अपने साथ आगरा ले गए। 2020 में कोरोना में इम्तियाज की भी मृत्यु हो गई। इसके बाद से अमन भीख मांगकर तो कभी गांव आकर जीवन यापन कर रहा था।
अमन के तयेरे भाई उस्मान ने बताया कि परिवार के अन्य लोग और ग्रामीण उसे खाने-पीने को दे दिया करते थे। करीब तीन महीने पहले वह अचानक बिना बताए गांव से कहीं चला गया। गुरुवार शाम को गांव लौटा। रात में उसे तेज बुखार आया तो दवा दी लेकिन पानी देखते ही वह चीखने लगा। तब लगा कि मानसिक दिव्यांग होने के कारण वह ऐसा कर रहा है। रात में वह कुत्ते की तरह भौंकने भी लगा। शुक्रवार सुबह छह बजे उसे सीएचसी बेवर लेकर पहुंचे। यहां से जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल में जांच के बाद सुबह 7.30 बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
बेवर चिकित्साधीक्षक डॉ. आशुतोष ने बताया कि किशोर को लेकर आए ग्रामीणों ने बताया था कि इसमें रेबीज के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो उसे तुरंत ही जिला अस्पताल रेफर कर दिया था। पोस्टमार्टम न होने की स्थिति में यह स्पष्ट नहीं है कि उसकी मृत्यु रेबीज के कारण ही हुई है।
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