बुकर की दौड़ में गीतांजलि, मैनपुरी अनजान
1957 में जन्म के बाद स्वजन छोड़ गए थे जिला जेएनयू से इतिहास में हैं एमए उपन्यासकार का उपन्यास रेत समाधि इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार की सूची में शामिल ...और पढ़ें

जासं, मैनपुरी: मैनपुरी में जन्मी प्रख्यात उपन्यासकार गीतांजलि श्री का उपन्यास रेत समाधि इंटरनेशनल बुकर प्राइज की शार्ट लिस्ट में शामिल हुआ है। गीतांजलि मैनपुरी में जन्मी जरूर थी, लेकिन यहां उनके विषय में कोई नहीं जानता। जिले के साहित्यकार और इतिहासकार उनके मैनपुरी के होने को लेकर अनजान हैं ।
लेखक-उपन्यासकार गीतांजलि श्री का जन्म 12 जून 1957 को मैनपुरी में होने की बात बताई जा रही है। स्वजन भी 50 साल पहले यहां से चले गए थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में हुई। बाद में उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कालेज से स्नातक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया। वर्तमान में गीतांजलि थियेटर के लिए भी लिखती रहीं मैनपुरी के साहित्यकार पुस्तक में भी नहीं है जिक्र
साहित्यकार स्व. नरेश चंद सक्सेना ने मैनपुरी के साहित्यकार नाम से एक पुस्तक लिखी थी। इसमें जिले में जन्मे लेखक और साहित्यकारों का जीवन परिचय और योगदान आदि शामिल है। स्व. सक्सेना के छोटे भाई साहित्यकार डा. चंद्रमोहन सक्सेना ने बताया कि इस पुस्तक लिखते समय गीतांजली श्री से संपर्क किया गया था, लेकिन उन्होंने रूचि नहीं दिखाई।
अनजान हैं साहित्यकार-
गीतांजली श्री मैनपुरी की है, मन प्रसन्न है। उनके स्वजन यहां कहां रहते थे, इसकी जानकारी नहीं है। लेखिका बुकर पुरस्कार की दौड़ में यह सुनकर अच्छा लग रहा है। पुरस्कार मिले, ऐसी कामना।
-विनोद माहेश्वरी, साहित्यकार गीतांजली श्री के स्थानीय जुड़ाव से अनजान हैं। मैनपुरी वैसे तो साहित्यकार और लेखकों की खान है। उनका जन्म यहां हुआ है, सुनकर खुशी हो रही है। पुरस्कार मिलेगा तो साहित्यकार प्रेरित होंगे।
पं. श्रीकृष्ण मिश्रा, एडवोकेट, इतिहासकार मैनपुरी की है गीतांजली श्री, सुनकर अच्छा लगा। वह मैनपुरी में कहां पैदा हुई, इसकी जानकारी तो नहीं है। वैसे, उन्होंने कभी मैनपुरी आने में उत्सुकता भी नहीं दिखाई। इसलिए उनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं।
-संजय दुबे, कवि-साहित्कार मैनपुरी में गीतांजलि श्री का कहां से जुड़ाव रहा, कभी जानकारी नहीं मिली। उनका उपन्यास बुकर पुरस्कार की दौड़ में है, अच्छी बात है। वह मैनपुरी आती रहती तो जानकारी बनी रहती।- महालक्ष्मी सक्सेना मेधा, साहित्यकार।

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