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    भगवत प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन है प्रेम भक्ति योग

    By Edited By: Updated: Tue, 09 Oct 2012 11:16 PM (IST)

    मैनपुरी: नगर के चांदेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमदभागवत कथा के पंचम दिवस आचार्य रामबाबू द्विवेदी ने कहा कि सभी मनुष्य सुख एवं शांति चाहते हैं लेकिन भौतिक, ऐश्वर्य, पद, प्रतिष्ठा में शांति सुख नहीं बल्कि सच्चा सुख तो परमात्मा के भजन में है।

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    उन्होंने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति ही जीव का लक्ष्य है। परमात्मा को पाने के लिए ऋषियों ने अनेक साधना मार्ग बताये हैं। अष्टांग योग, सांख्य योग, ज्ञान, ध्यान, तप, यज्ञ, अनुष्ठान आदि मनुष्य को करना चाहिए। लेकिन प्रेम भक्ति योग भगवत प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन है। सम्पूर्ण समर्पण का नाम ही भक्ति है। शास्त्रानुसार भक्ति नौ प्रकार की होती है। जिसे नवधा भक्ति कहते हैं। श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य एवं आत्म निवेदन इस प्रकार की नौ भक्तियां करता हुआ भक्त शीघ्र ही परमात्मा को प्राप्त कर लेता है।

    उन्होंने कहा कि सुखदेव, सनत कुमार, भगवान शंकर आदि भी समाधि छोड़कर भगवान की कथा कहते हैं और सुनते हैं। भू-भार हरण करने के लिए पापी दुष्ट शिशुपाल, दंत वक्र, कंस, जरासंध आदि का संहार करने के लिए एवं भक्त, संतजनों की रक्षा करने और धर्म की स्थापना करने के लिए पूर्ण ब्रह्मा ने भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लिया था। भगवान के अवतार का प्रमुख हेतु भक्तगण हैं। भक्तों के लिए विशेष रूप से भगवान का अवतार होता है। कथा स्थल पर उपस्थित भक्तों ने नंद महोत्सव में धूमधाम के साथ उत्साह से बाल कृष्ण भगवान का पूजन किया।

    कथा के अंत में कथा परीक्षित रामगोपाल दीक्षित, वीना दीक्षित, अनिल दीक्षित, अवनीश चौहान, नारायन सिंह आदि ने आरती उतार प्रसाद वितरित किया।

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