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    आत्मा की जागृति का मूल मंत्र है आध्यात्म

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    Updated: Sun, 27 May 2012 07:20 PM (IST)

    मैनपुरी : नगर के कचहरी रोड स्थित कबीर आश्रम में हुये साप्ताहिक सत्संग में प्रवचन करते हुए आश्रम के महंत अमर साहिब ने कहा कि हमारे जीवन की दो रेखाएं हैं आध्यात्मिक एवं भौतिक। मन के आयाम का जीवन एवं आत्मा के आयाम का जीवन। मन के जीवन का संबंध सांसारिक भौतिकवादी सुख-सुविधाओं से जुड़ा है। जबकि आत्मा के आध्यात्मिक जीवन का संबंध प्रभु भक्ति से जुड़ा है। मन के आयाम के जीवन को कमजोर करने के लिए आत्मज्ञान, आत्मविश्वास एवं आत्मबल की आवश्यकता होती है।

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    उन्होंने कहा हमारे मन की सीमाएं बढ़ती ही जाती हैं। मन से दुश्मनी बना लेने पर आध्यात्मिक जीवन की हार हो जाती है। नाव पानी में रहे तो कोई खतरा नहीं रहता और अगर नाव के अंदर पानी आ जाए तो खतरा ही खतरा रहता है। मन संसार में रहता हुआ आत्मलीनता में रहता है। जिससे कोई खतरा नहीं रहता मगर आत्मा से विमुख मन के अंदर सांसारिकता बढ़ जाती है तो खतरा ही खतरा रहता है। आत्मा जागृति का मूल मंत्र है। उन्होंने कहा कि सद्गुरु के ज्ञान से हर व्यक्ति इंसान बन जाता है और जीना-मरना सीख कर आत्मज्ञानी हो जाता है। आश्रम में साप्ताहिक सत्संग के दौरान भक्तों की भारी भीड़ ने प्रवचन सुन धर्म लाभ प्राप्त किया।

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