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    आत्मस्वरूप को पहचान कर अन्यत्र नहीं भटकते ज्ञानी

    By Edited By:
    Updated: Tue, 07 Feb 2012 06:30 PM (IST)

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    ध्यान शिविर के समापन पर कबीर आश्रम में भण्डारे का आयोजन

    मैनपुरी : नगर के कचहरी रोड स्थित कबीर आश्रम में सात दिवसीय ध्यान शिविर के अंतिम दिन बोलते हुए आश्रम के महंत अमर साहिब ने कहा कि जिन्होंने जड़ चेतन की समस्त स्थितियों, गुण धर्मो एवं जड़ से सर्वथा भिन्न अपने चेतन स्वरूप को समझ लिया है और समझकर चिर विश्रांति पा गये हैं उन सब ज्ञानियों के एक ज्ञान, एक आचरण, एक स्थिति और एक समान मोक्षावस्था होती है।

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    उन्होंने कहा कि अ‌र्द्ध ज्ञानी लोग ही कुछ का कुछ कहते रहते हैं। जो लोग जड़, चेतन के भेद से भिन्न अपने स्वरूप को समझ लिये हैं। वे कहीं भी भटकते-अटकते नहीं हैं। उन्हें कोई ठग नहीं सकता और वे भी किसी को धोखा नहीं देते। ऐसे लोग निष्कपट, निष्काम, निसंग, निष्क्रिय हो जीवन मुक्ति दशा लिये घूमते हैं मगर दूसरों के लिए आदर्श बन प्रकाश देते रहते हैं।

    इलाहाबाद से आये स्वामी सत्यानंद त्यागी ने कहा कि जिसे खोजते-खोजते युग बीत गये वह मूल तत्व तो सबके अपने हृदय के भीतर ही विद्यमान हैं। परंतु माया, मोह, मेरा, अपनापन का घमंड तथा अनेक संदेह भ्रम होने के कारण उसके विषय में सब अपरिचित रहते हैं। इसीलिए वह खोया जैसा लगता है। जब मनुष्य को कारण, कार्य, व्यवस्था का सही बोध हो जाता है। तब वह चमत्कारों के जाल में नहीं पड़ता है और असलियत जानकर आत्म कल्याण की पूर्णता को प्राप्त कर दूसरे के लिए प्रेरणा बन जाता है। वह वर्ण, वर्ग, सम्प्रदाय, जाति, देशी, विदेशी के भेदभाव की दीवालें तोड़कर मानव धर्म का अनुगामी होता है। सुल्तानपुर से आये स्ववश साहिब ने कहा कि सबसे पहले मनुष्य को अपने स्वरूप की असली पहचान किसी सद्गुरु को करनी चाहिए तभी वह अपने बंधनों की पहचान कर उनसे छुटकारा पा सकता है। संसार में पाखंड एवं अंधविश्वास का साम्राज्य है। ऐसी स्थिति में पारखी, विवेकी, चरित्रवान, संत गुरुजनों का सत्संग अनिवार्य है। राजस्थान से आये कमेन्द्र साहिब ने कहा कि सभी संत, गुरुजन जो उपदेश देते हैं उन्हें याद न रखना बहुत बड़ी भूल है। आचरण में लाया हुआ प्रवचन ही कल्याणकारी होता है। ध्यान शिविर के समापन पर विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया।

    फोटो नं.07मेन45.जेपीजी

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