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    आयुर्वेद के जनक हैं भगवान धन्वन्तरि

    By Edited By: Updated: Mon, 24 Oct 2011 10:25 PM (IST)

    मैनपुरी: भगवान धन्वन्तरि जयंती पर नगर के पंजाबी कालोनी स्थित श्री एकरसानंद धर्मार्थ आयुर्वेदिक औषधालय परिसर में भगवान धन्वन्तरि जयंती समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. राकेश गुप्ता जिला आयुर्वेद चिकित्साधिकारी एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. ग्याप्रसाद दुबे, महेश चंद्र वर्मा पूर्व पालिकाध्यक्ष ने भगवान धन्वन्तरि के बारे में बताया।

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    मुख्य अतिथि डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि भगवान धन्वन्तरि आयुर्वेद के जनक हैं। वे देवताओं के वैद्य के रूप में भी जाने जाते हैं। देव-दानव के युद्ध में समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वन्तरि का प्रकाटय हुआ था। वे औषधीय जगत के जन्मदाता हैं।

    आयुर्वेद औषधि का व्यक्ति के शरीर पर कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता। यही कारण है कि वर्तमान में एक बार फिर एलोपैथिक से हटकर लोग आयुर्वेद चिकित्सा पर काफी विश्वास कर रहे हैं। आयुर्वेद में हर रोग की अचूक दवा है। मगर नाड़ी विशेषज्ञ का होना भी विशेष महत्व है। नाड़ी के अनुसार दी गयी आयुर्वेद औषधि रोग पर तत्काल अपना प्रभाव दिखाती है।

    समारोह में डॉ. ग्याप्रसाद दुबे प्राचार्य श्री एकरसानंद संस्कृत महाविद्यालय, प्रेमचंद्र महेश्वरी और पूर्व पालिकाध्यक्ष महेश चंद्र वर्मा ने भी भगवान धन्वन्तरि के विषय में अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्री एकरसानंद धर्मार्थ औषधालय के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. संजीव मिश्र वैद्य ने धन्वन्तरि जयंती के महत्व की विस्तार से जानकारी दी।

    उन्होंन वर्तमान की स्थिति में महंगाई के चलते आयुर्वेद उत्थान संबंधी जानकारियों के बारे में भी बताया। इस अवसर पर रामप्रकाश मिश्र, डॉ. आराध्य मिश्र, अनुराग दुबे, राजेश तिवारी, डॉ. वीके मिश्रा, डॉ. सीपी तिवारी, डॉ. एसके चतुर्वेदी, डॉ. चंद्रमोहन, डॉ. चंद्रेश राजपूत आदि उपस्थित थे।

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