Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नील हरित शैवाल देगा पौधों को नाइट्रोजन

    By Edited By:
    Updated: Sat, 12 Mar 2016 10:44 PM (IST)

    राकेश रागी, मैनपुरी: वातावरण में मौजूद नाइट्रोजन का अब फसलों में उपयोग करने को नील हरित शैवाल विधि

    राकेश रागी, मैनपुरी: वातावरण में मौजूद नाइट्रोजन का अब फसलों में उपयोग करने को नील हरित शैवाल विधि तैयार की जा रही है। इस विधि के जरिए वाष्प के माध्यम से वातावरण से नाइट्रोजन सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचेगी। इस विधि से ¨सचाई के लिए पानी की बचत भी होगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वैज्ञानिकों के अनुसार वातावरण में 79.4 फीसद नाइट्रोजन तैर रही है, लेकिन फसलों में इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि किसानों को फसलों में अधिक लागत लगानी पड़ रही है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने नील हरित शैवाल तैयार करने की योजना बनाई है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र पर एक यूनिट तैयार की गई है। इस यूनिट में पानी भर दिया गया है। तेज धूप में पानी में वाष्प बनने की प्रक्रिया शुरू होने पर यूनिट की निचली सतह पर नील हरित शैवाल (एक तरह से काई) की परत बननी शुरू होगी। इसे तीन से छह माह में यूनिट से निकाल कर छाया में सुखाया जाएगा। इसके बाद उसे बारीक पीसकर खेत में इस्तेमाल किया जाएगा।

    एक एकड़ खेत में चार किलो ग्राम नील हरित शैवाल पानी के साथ डालने पर खेत में मिट्टी की ऊपरी सतह पर एक परत बन जाएगी। इस काई रूपी परत से पौधों की जड़ों में धूप कम पहुंचेगी और वाष्प की प्रक्रिया के माध्यम से वातावरण से नाइट्रोजन पौधों की जड़ों तक पहुंचने लगेगी। मिट्टी की ऊपरी सतह पर नील हरित शैवाल बनने के कारण खेतों में नमी रहेगी और किसानों को चार की जगह दो बार ही फसलों की ¨सचाई करनी पड़ेगी।

    कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. शंकर ¨सह ने बताया कि नील हरित शैवाल के प्रयोग से अधिक पानी में तैयार होने वाली फसलों में पानी कम लगाना होगा। नतीजतन, किसान किसान कम लागत में अधिक उपज ले सकेंगे। किसान नील हरित शैवाल अपने घर पर यूनिट लगाकर तैयार करना चाहेंगे, तो उन्हें पूरी जानकारी दी जाएगी।

    पांच हजार में बनेगी यूनिट

    यदि किसान नील हरित शैवाल तैयार करने के लिए अपने घर पर यूनिट तैयार करता है, तो उसे छोटी यूनिट तैयार करने में पांच हजार रुपये खर्च करने होंगे। इस धनराशि में बीस वर्गमीटर की यूनिट तैयार होगी। इसमें अस्सी किलो नील हरित शैवाल तैयार होगा, 15 बोरी यूरिया से मिलने वाली नाइट्रोजन के बराबर होगा। डॉ. ¨सह ने बताया कि एक यूनिट से हर तीन माह में शैवाल तैयार किया जा सकता है।

    comedy show banner
    comedy show banner