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    पशु अस्पताल बीमार, नहीं होता उपचार

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    Updated: Mon, 04 Aug 2014 07:48 PM (IST)

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    मैनपुरी : जिले की पशु चिकित्सा बदहाल है। अस्पताल हैं और डॉक्टर तैनात नहीं किए गए हैं। दवाइयों का अकाल है। पशुपालक अस्पताल अपने बीमार पशु का इलाज कराने जाते हैं तो उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ता है।

    डेढ़ दर्जन से अधिक पशु चिकित्सालयों का ताला ही नहीं खुलता है। 26 पशुधन सेवा केंद्र हमेशा बंद रहते हैं। हल्की बारिश के बाद मौसमी बीमारियों में खुरपका, मुंहपका और गला घोटू की बीमारियां फैलनी शुरू हो गई हैं। लेकिन अभी तक वैक्सीन के टीके नहीं लगाए गए हैं। दैनिक जागरण की टीम ने कुछ पशु चिकित्सालयों का हाल जाना, पेश है रिपोर्ट।

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    कुरावली : कस्बे के पशु चिकित्सालय में डॉक्टर तो तैनात हैं लेकिन अस्पताल में कम बैठ पाते हैं। पशुपालकों को दवा के नाम पर दुआ मिलती है। जिससे जानवर तो ठीक नहीं होते हैं। लेकिन पशुपालकों को प्राइवेट पशु चिकित्सक से दवा कराने पर उनकी जेब जरूर खाली हो जाती है। पशु चिकित्सालय पर अपने बीमार पशु का इलाज कराने पहुंचे ब्रजभूषण, भगवान सिंह, सतीश का कहना था कि टीकाकरण न होने की वजह से उनके जानवर बीमार पड़ गए हैं।

    कुसमरा : क्षेत्र के पशु चिकित्सालय रामभरोसे चल रहे हैं। डॉक्टर आते हैं। दवाइयां प्राइवेट चिकित्सकों को बेचकर कर चले जाते हैं। कैथोली का पशु चिकित्सालय बंद पड़ा है। लालपुर में पशु चिकित्सालय बना तो है, लेकिन अभी तक डॉक्टर तैनात नहीं किए गए हैं। कृत्रिम गर्भाधान केंद्र कुसमरा पर डॉक्टर तैनात हैं, लेकिन आना-जाना नियमित नहीं हो पाता।

    बिछवां : यह लोहिया गांव करीमगंज का पशु चिकित्सालय है। सोमवार को शाहआलमपुर का पशुपालक प्रदीप यादव अपनी भैंस पशु चिकित्सालय पर लेकर पहुंचा। उसका आरोप था कि भैंस की कटी पूछ का घाव ठीक करने के नाम पर उससे दो सौ रुपये ले लिए गए।

    करहल : कस्बा के पशु चिकित्सालय पर डॉ. एके सिंह तैनात हैं। पशु पालकों का कहना है कि उनका नियमित आना नहीं हो पाता। अस्पताल परिसर में गड्ढों में पानी भरा है। सुबह से शाम तक एक दर्जन से अधिक पशुपालक अपने बीमार पशुओं का उपचार कराने को लाते हैं। लेकिन दवा के नाम पर खानापूरी होती है।

    बेवर : नगर के पशु चिकित्सालय पर उपचार की सुविधा पूरी तरह गायब है। पशु चिकित्सालय भैंसरोली, नवीगंज और जासमई के उपकेंद्र पर पशुधन प्रसार केंद्रों पर प्रसार अधिकारी नियुक्त नहीं किए गए हैं। टोडरपुर में लगभग 80 लाख रुपये से पशु चिकित्सालय बनाए गए हैं।

    इस पर चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हुई है। पशु चिकित्साधिकारी हरिओम पटेल क्षेत्र में संक्रामक रोग न फैलने देने का दावा कर रहे हैं। लेकिन अभी तक कितने वैक्सीनेटर के टीके लगाए गए यह नहीं बता पा रहे हैं। वह कहते हैं वैक्सीनेटर गांव-गांव घूम रहा है। जल्दी ही प्रत्येक पशु के टीके लगा दिए जाएंगे।

    'जिले में पशु चिकित्सालयों पर डॉक्टरों की कमी है। जिसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। अभी एक सप्ताह पहले जिला पशु चिकित्साधिकारी का कार्यभार संभाला है। स्वास्थ्य सेवाओं में जो भी कमी होगी उसे दूर किया जाएगा। जो डॉक्टर हैं वे अस्पताल पर रहकर पशुओं का उपचार करेंगे। पशु चिकित्सा व्यवस्था बेहतर बनाने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे।'

    डॉ. वाईके सारस्वत, जिला पशु चिकित्साधिकारी, मैनपुरी।