वक्त से पहले बूढ़ा बना रही दांतों की कैविटी
मैनपुरी : स्वाद-स्वाद में ही दांतों की सेहत खराब हो रही है। उचित देखभाल के अभाव में दांतों की कैविटी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी होने से खुद चिकित्सक भी हैरान हैं।
जिला अस्पताल के दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक कुमार बताते हैं कि उनके पास प्रतिदिन लगभग 150 से ज्यादा मरीज आते हैं। इनमें से 100 मामले दांतों की कैविटी से जुडे़ होते हैं। ज्यादातर मामलों में कैविटी की समस्या सामान्य उपचार से दूर हो जाती है। असामान्य स्थितियों में आरसीटी के जरिए समस्या का निस्तारण कर दिया जाता है।
क्या है कैविटी
अक्सर खाना खाते वक्त छोटे-छोटे कण दांतों के बीच में जाकर फंस जाते हैं। नियमित सफाई न होने के कारण ये कण दांतों की इनेमल लेयर में छेद करना शुरू कर देते हैं। इस लेयर में छेद होना ही कैविटी कहलाता है। ज्यादातर लोग ऐसे मामलों में दांतों को उखड़वाना ही बेहतर समझते हैं, जबकि यह स्थाई उपचार नहीं है।
क्या कहते हैं डॉक्टर
कैविटी (दांतों में छेद) या सेंसिटिविटी (दांतों में ठंडा या गर्म पदार्थ का लगना) में दांतों को आरसीटी से बचाया जा सकता है। इससे न सिर्फ दांत सुरक्षित होते हैं बल्कि दर्द और पस की समस्या भी दूर हो जाती है।
डॉ. आलोक कुमार
दंत रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल, मैनपुरी।
ये हैं उपचार
- कैविटी के लिए प्रभावित दांत का आरसीटी (रूट कैनाल टेस्ट) किया जाता है। इसका खर्च 1500 रूपए आता है।
- आरसीटी के बाद सुरक्षा के लिए दांत पर कैप लगाया जाता है। प्रति दांत कैप का खर्च भी तकरीबन 1500 रूपए आता है।
- सबसे मंहगा उपचार जिरकोनियम कैप होता है, जिसका खर्च 4000 के आसपास आता है।
ये बरतें सावधानी
- ज्यादा मीठा खाने से परहेज करें।
- खाने के बाद दांतों को ब्रश से साफ करें।
- कीडे़ वाले दांतों में समय से फिलिंग करायें।
- दांतों में कालापन आने पर चिकित्सकों की सलाह लें।
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