धवर्रा हनुमान मंदिर से उठी थी पृथक बुंदेलखंड राज्य की चिगारी
अजय दीक्षित महोबा भले ही पृथक बुंदेलखंड राज्य का सपना अभी सपना ही है लेकिन इसके लिए आंद

अजय दीक्षित, महोबा : भले ही पृथक बुंदेलखंड राज्य का सपना अभी सपना ही है, लेकिन इसके लिए आंदोलन की नींव रखने वाले शंकरलाल मेहरोत्रा के प्रयासों को एक बार फिर याद करने का मौका है। कौन भूल सकता है आंदोलन के उन जनक को जिन्होंने पृथक बुंदेलखंड राज्य आंदोलन की खातिर सारी सुख सुविधाएं त्यागीं। कांग्रेस से इस्तीफा दिया।
जिस बुंदेलखंड राज्य आंदोलन को शंकर लाल मेहरोत्रा ने 17 सितंबर, 1989 में मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित धवर्रा से शुरू किया था, उसे आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने मध्यप्रदेश कांग्रेस का कोषाध्यक्ष पद छोड़ दिया। बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा का किया गठन
शंकरलाल के बेटे नीरज मेहरोत्रा बताते हैं कि पापा पहले कांग्रेस पार्टी में थे। और मध्यप्रदेश के कोषाध्यक्ष थे। वे मानते थे कि जब तक बुंदेलखंड दो राज्यों के बीच पिसता रहेगा, इसका भला नहीं होने वाला। छोड़ दी पार्टी
उनके बेटे कहते हैं कि पिता जी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। आंदोलन को गति देने के लिए पूरे बुंदेलखंड में सभाएं, धरना प्रदर्शन शुरू करवाए। छोटे-छोटे संगठन को जोड़ा। गांव-गांव संपर्क किया। पैसे की जरूरत पर बेच दी फैक्ट्री
जब आंदोलन के लिए धन की कमी पड़ने लगी तो उन्होंने नौगांव में स्थापित अपनी डिस्टिलरी फैक्ट्री सवा करोड़ में बेच दी। 1993 में उन्होंने टीवी प्रसारण बंद अभियान चलाया। विधानसभा में फेंके पर्चे
1994 में मध्यप्रदेश विधानसभा में बुंदेलखंड राज्य के लिए पर्चे फेंके। 1995 में लोकसभा में पर्चे फेंके जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहा राव ने उनको नौ साथियों सहित गिरफ्तार करवा दिया। बाद में विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने उनको छुड़वाया था। जंतर मंतर पर दिया धरना
शंकरलाल ने बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के साथ ही उत्तराखंड, झारखंड व छत्तीसगढ़ राज्य बनाने को लेकर एक संयुक्त मोर्चा का गठन किया। उन्होंने दिल्ली में जंतर मंतर पर एक महीने तक धरना प्रदर्शन किया। बाद में अटल जी की सरकार द्वारा बुंदेलखंड राज्य बनाने के आश्वासन पर धरना खत्म हुआ। जून 1998 में झांसी के बरुआ सागर में हुई हिसा से अटल सरकार इतनी नाराज हो गई कि शंकरलाल व उनके साथियों पर रासुका लगा दी। बुंदेलखंड राज्य की मांग के लिए 635 दिन कर चुके भूख हड़ताल
बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर महोबा में 635 दिन भूख हड़ताल कर चुके बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने कहा कि शंकर लाल मेहरोत्रा की कुर्बानियां बेकार नहीं जाएंगी। उनके जन्मदिन को बुंदेलखंड दिवस के रूप में मनाकर हम बुंदेले उनको सच्ची श्रद्धांजलि देंगे। उनके पुत्र नीरज मेहरोत्रा के भी महोबा आकर प्रधानमंत्री को खून से खत लिखो अभियान में शामिल की संभावना है।
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