यूपी में 40 बार कॉल करने पर भी नहीं आई एंबुलेंस, हादसे में घायल युवक 6 घंटे तड़पता रहा; मौत
महोबा में एक सड़क हादसे में घायल श्रमिक की एंबुलेंस न मिलने से दर्दनाक मौत हो गई। परिजनों ने एंबुलेंस के लिए 30-40 बार फोन किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे निजी एंबुलेंस भी नहीं कर पाए। परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर कार्रवाई शुरू कर दी है।

जागरण संवाददाता, महोबा। चार पहिया वाहन की टक्कर से श्रमिक घायल हो गया। हेलमेट न पहलने होने की वजह से उसके सिर व शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें आईं। स्वजन उसे जिला अस्पताल लाए। लेकिन यहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे मेडिकल कालेज झांसी रेफर कर दिया गया।
परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर न होने से निजी एंबुलेंस की व्यवस्था करने में वह अक्षम थे। स्वजन की मानें तो उन्होंने करीब 30-40 बार एंबुलेंस को फोन लगाया पर वह उपलब्ध नहीं हो सकी। जिससे करीब छह घंटे तक श्रमिक तड़पता रहा और उसकी मौत हो गई।
स्वजन ने इलाज में भी लापरवाही का आरोप लगाया है। उधर एंबुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर दिनेश यादव ने बताया कि मरीज को श्रीनगर से एंबुलेंस जिला अस्पताल लाई थी। इसके बाद वह दूसरे केस में चली गई थी। इस कारण सुविधा नहीं मिल पाई होगी।
थाना श्रीनगर क्षेत्र के ग्राम अतरारमाफ निवासी 33 वर्षीय धीरज अहिरवार पुत्र मईयादीन सोमवार की देर शाम बाइक से किसी कार्य से महोबा आ रहा था। रास्ते में ग्राम कैमाहा अतरार पुलिया के पास चार पहिया वाहन ने बाइक में जोरदार टक्कर मार दी। उसके हेलमेट न लगाने से सिर व शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आईं।
राहगीरों की सूचना पर स्वजन पहुंचे और उसे जिला अस्पताल लाया गया। यहां से उसे प्राथमिक उपचार के बाद मेडिकल झांसी रेफर कर दिया गया। लेकिन उपचार दौरान उसकी जिला अस्पताल में ही मौत हो गई। दिंवगत के भाई विनोद व भांजे भोला ने बताया कि वह मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करता था।
आराेप है कि पांच से छह घंटे तक स्वजन स्टाफ से आरजू मिन्नतें करते रहे और एंबुलेंस को फोन लगाते रहे। करीब 30-40 काल की गईं, फिर भी एंबुलेंस नहीं नहीं मिली, जिससे उसकी मंगलवार की सुबह करीब चार बजे मौत हो गई। उसके माता पिता की मृत्यु करीब 9 साल पहले हो चुकी है। वह अपने पीछे दो पुत्री और एक पुत्र और पत्नी सुनीता को छोड़ गया है।
प्रभारी निरीक्षक शहर कोतवाली मनीष पांडेय ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर आगे की कार्रवाई की जा रही है। उधर एंबुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर दिनेश यादव ने बताया कि मरीज को श्रीनगर से एंबुलेंस जिला अस्पताल लाई थी। अब उसको झांसी रेफर किया गया तो उस समय सभी एंबुलेंस अन्य केस में लगी थी। जिस कारण उसे एंबुलेंस सुविधा नहीं मिल पाई होगी।

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