मां बड़ी चंद्रिका के आशीष से पवित्र हुई बुंदेली धरा
अभिषेक द्विवेदी, महोबा : वैसे तो नवरात्र में सभी देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगता है, लेकि ...और पढ़ें

अभिषेक द्विवेदी, महोबा :
वैसे तो नवरात्र में सभी देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगता है, लेकिन देश के 51 शक्तिपीठों में से एक मां बड़ी चंद्रिका देवी मंदिर में महोबा के साथ ही आसपास के जिलों के हजारों लोग मत्था टेककर परिवार की सुख समृद्धि की कामना करने आते हैं। मां बड़ी चंद्रिका के आशीष से बुंदेली धरा पवित्र हुई और इन्हें वीर आल्हा की आराध्य देवी माना गया है। यह अनोखी प्रतिमा दिन में कई कलाएं बदलती हैं और भक्तों की मन्नतों को पूरा करती है।
मुख्यालय के छतरपुर मार्ग पर दाईं ओर वीरभूमि राजकीय डिग्री कालेज के सामने मुख्य मार्ग पर यह ऐतिहासिक मंदिर स्थापित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार चंदेल वंश के संस्थापक यशस्वी चंद्रवर्मन ने अपने पिता चंद्रदेव के निर्देशन पर खजुराहो में भांड्य-यज्ञ के समापन पर 831 ई. में महोबा आकर एक विशाल महोत्सव आयोजित कर देवी शक्तिपीठ की स्थापना की थी जो 12 फीट प्रस्तर शिला पर 18 भुजी उत्कीर्ण है। इसकी प्रसिद्धि सिद्धपीठ के रूप में जनमानस में व्याप्त है। इसकी मान्यता दुर्ग एवं नगर रक्षा के लिए चौमुंडा स्वरूप भी दक्षिण में स्थापित मानी जाती है। नवरात्र के सभी नौ दिन मां के दर्शन करने को हजारों लोग यहां आते है।
मां के आशीष से शुरू हुआ था चंदेलों का विजय अभियान
पौराणिक कथाओं के अनुसार पहले इस स्थान को ताराचंडी सिद्धपीठ के रूप में जाना जाता था, लेकिन आज इसे बड़ी चंद्रिका के नाम से ख्याति मिली है। इतिहासकार वीरभूमि महाविद्यालय के प्रवक्ता डा. एलसी अनुरागी बताते हैं कि इसकी स्थापना अति प्राचीन है, लेकिन जनश्रुतियों के आधार पर इसकी पहचान गहरवार नरेशों के समय 7वीं शताब्दी में हुई। चंदेल नरेश चंद्रवर्मन ने खजुराहो में यज्ञ कराने के बाद महोबा आकर 831 ई. में देवी को अपना इष्ट मान यज्ञ कर मूर्त रूप दिया था और इन्हीं के आशीष से चंदेलों का विजय अभियान भी शुरू हुआ। जो 400 सालों तक साम्राज्य विस्तार के रूप में चला।
नवरात्र के नौ दिन लगता है मेला
ऐतिहासिक मां बड़ी चंद्रिका देवी मंदिर प्रांगण में नवरात्र के सभी नौ दिन मेला लगता है और भंडारे का आयोजन होता है। नवमी के दिन विशाल भंडारा और रात्रि जागरण का भी आयोजन कराया जाता है।

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