Updated: Fri, 19 Sep 2025 05:18 PM (IST)
महोबा जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 40 करोड़ से अधिक का घोटाला सामने आया है। मध्य प्रदेश के किसानों ने उत्तर प्रदेश में फर्जी बीमा कराकर लाखों का भुगतान प्राप्त किया। मामले में 26 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ है और 10 गिरफ्तार किए गए हैं। जांच में महाराष्ट्र बिहार गुजरात समेत कई राज्यों के लोगों द्वारा बीमा कराने की बात सामने आई है।
जागरण संवाददाता, महोबा । जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में करीब 40 करोड़ से अधिक का घोटाला किया गया। अब कबरई विकासखंड के ग्राम ज्योरइया खोरइया में हुए घोटाले की तस्वीर सामने आई है। यहां मप्र के किसानों ने उप्र के किसान व बटाईदार बनकर कई बीमा पालिसी लेकर अपना बीमा कराया और लाखों का भुगतान निकाल लिया।
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किसानों ने उच्चाधिकारियों को यह रिकार्ड सौंपकर इस गांव की जांच कराकर दोषियों पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजे जाने की मांग की है। अब तक इस मामले में बीमा कंपनी इफको टोकयो के प्रबंधक निखिल सहित 26 लोगों व अन्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है और 10 आरोपितों को जेल भेजा जा चुका है।
वहीं कृषि विभाग के फसल बीमा पटल सहायक अतुलेंद्र विक्रम को भी निलंबित किया गया है। अब तक कि जांच में सामने आया था कि महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, जूनागढ़, जालौन, बांदा सहित अन्य जनपदों के लोगों ने महोबा में फसल बीमा कराया।
मामले की चल रही है जांच
हालांकि अभी जांच चल रही है और कइयों के नाम और सामने आ सकते हैं। उधर सदर तहसील में बीमा घोटाले की निष्पक्ष व सभी आरोपितों पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजे जाने की मांग को लेकर करीब एक माह से अनशन पर बैठे जय जवान जय किसान के अध्यक्ष गुलाब सिंह ने इस पूरे मामले की सीबीआइ जांच की मांग की है।
उन्होंने दावा किया है कि विकासखंड कबरई के ज्योरइया व खोरइया में मप्र के लोगों ने किसान व बटाईदार बनकर बीमा कराया और कई पालिसी लेकर लाखों का भुगतान कराया। गुलाब सिंह ने बताया कि खुरई सागर मप्र के आलोक नाम सिजवाहा, खोरइया व ज्योरइया में 20 पालिसी ली गई और तीन लाख 28 हजार से अधिक का भुगतान करा लिया। जालसाजों ने मूंगफली की फसल का सर्वाधिक बीमा कराया।
खुरई सागर की नीतू सिंह के नाम करीब 45 पालिसी हुई और इनका करीब पांच लाख का भुगतान हो गया। दीपक कुमार के नाम 26 पालिसी ली गई और खाता महोबा के युवक का लगाकर 2.39 लाख का भुगतान हो गया। खुरई सागर की ही दुर्गाबाई के नाम 6 पालिसी हुई और इनका भी ढाई लाख से अधिक का भुगतान हुआ। दावा किया कि खोरइया व ज्योरइया में करीब दो सौ से अधिक बीमा पालिसी में लाखों का भुगतान निकाल लिया गया।
नहीं मिल रहा लाभ
सिजवाहा गांव के किसान देवेंद्र ने बताया कि उनकी 72 बीघा जमीन पर मध्यप्रदेश के एक व्यक्ति ने बीमा कराकर 84 हजार रुपये का क्लेम उठा लिया, जबकि उन्हें कोई लाभ नहीं मिला। इसी तरह सिजवाहा गांव में हुई जांच के दौरान कई चौंकाने वाले मामले सामने आए।
सागर निवासी आर्यन राजपूत ने अकेले 65 बीमा पालिसियां कराकर 3 लाख 408 रुपये का क्लेम लिया। इसी तरह, सागर की दीप्ति ने 34 पालिसियों से 3 लाख 37 हजार 748 रुपये, महाराष्ट्र निवासी जयसिंह ने 31 पालिसियों से 34 हजार 278 रुपये, सागर निवासी आरिफ सौदागर ने 32 पालिसियों से 33 हजार 357 रुपये का भुगतान कराया।
उपनिदेशक कृषि रामसजीवन ने बताया कि जिले में 2024 में करीब ढाई लाख पालिसी हुई और अब तक कि जांच में 300 पालिसी गलत पाए जाने पर निरस्त की गई। जांच अभी चल रही है। जो भी दोषी होगा उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई कराई जाएगी।
चल रही है चकबंदी प्रक्रिया
इस तरह किया गया फर्जीवाड़ा फसल बीमा में फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने कंपनी से सांठगाठ कर ऐसे गांवों को चुना, जहां चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। बीमा करने के लिए पोर्टल पर भू-स्वामी व बटाईदार अपना बीमा करा सकता है।
चकबंदी प्रक्रिया वाले गांवों का डाटा प्रदर्शित नहीं होता, जिससे कोई भी 10 रुपये के स्टांप पर बटाईनामा बनवाकर जमीन पर बीमा करा सकता है। इसमें वह जो जानकारी भर देता है वह सही मानी जाती है। खाली स्टांप भी इसमें लगाया जा सकता है। उसी के कागजातों के आधार पर बीमा होता है। इसकी जांच बीमा कंपनी ही करती है।
बीमा कंपनी के लोग भी शामिल
इसके बाद व्यक्ति टोल फ्री नंबर पर फोन कर नुकसान की जानकारी देता है। इसकी जांच भी बीमा कंपनी करती है और क्लेम पास कर भुगतान दे देती है। जाहिर है कहीं न कहीं बीमा कंपनी के लोग भी इसमें शामिल है।
किसी भी मामले का सत्यापन नहीं किया गया। यदि सत्यापन कराया जाता तो शायद फर्जी भुगतान होने से बच जाता। उपनिदेशक कृषि रामसजीवन कहते हैं जांच अभी चल रही है।
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