नदियों-पहाड़ों की जमीनों की पॉलिसी कराई! यूपी में फसल बीमा योजना में 40 करोड़ का कैसे हुआ घोटाला?
महोबा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में लगभग 40 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला सामने आया है। इस घोटाले में, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार समेत कई जि ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, महोबा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में करीब 40 करोड़ से अधिक का घोटाला किया गया। इसमें मप्र, राजस्थान, बिहार, जालौन, बांदा व चित्रकूट सहित अन्य जिलों के लोगों ने किसानों की जमीनों पर बीमा करा लिया और उनका भुगतान भी हो गया।
जालसाजों ने वन विभाग, नदियों, पहाड़ों सहित चकरोडों की जमीनों पर भी पालिसी ले ली। अब तक विभिन्न थानों में दर्ज छह मुकदमों में 26 नामजदों व अज्ञात में से महिला समेत 19 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। 27 अगस्त को शहर कोतवाली में बीमा कंपनी इफको टोकियो के निखिल चतुर्वेदी पर मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन वह हाइकोर्ट से जमानत पर है।
घोटालेबाजों ने खरीफ 2024 में तहसील चरखारी के ग्राम सिमरिया, पुरवा जैतपुर, इंद्रौरा, कर्रीजाद में ग्राम क्षेत्रफल से अधिक दूसरे किसानों की जमीनों का कराकर 3 करोड़ 63 करोड़ का भुगतान ले लिया। सदर तहसील के ग्राम मुरानी में 42 किसानों का 49 लाख का भुगतान हो गया। जबकि यहां किसी किसान को भुगतान मिला ही नहीं।
ग्राम खेवरइया ज्योरैया में 125 किसानों का 40 लाख, सिजवाहा में 95 किसानों का 24 व पलका में 45 किसानों का 17 लाख का भुगतान हो गया। इसी तरह अन्य जगहों पर खेल हुआ। सदर तहसील में 119 दिनों से अनशन पर बैठे जय जवान जय किसान के अध्यक्ष गुलाब सिंह ने पूरे मामले की सीबीआइ जांच की मांग की है।
खरीफ 2025 में इस बार 2,67,779 पालिसी हुई। जिसमें कुल ऋणी कृषक (बैंक के माध्यम से) 126403 व गैर ऋणी किसान 141376 है। जिसमें से 46218 गैर ऋणी किसानों का डाटा जनसुविधा केंद्र के माध्यम से किसानों को वापस भेजकर इसकी जानकारी मोबाइल पर मैसेज भेजकर दी जा चुकी है। अब तक अभिलेख सही न होने व अन्य कमियों पर करीब पांच हजार पालिसियां निरस्त हो चुकीं है।
अब तक हुई कार्रवाई
27 अगस्त को बीमा कंपनी इफको टोकियाे के जिला प्रबंधक निखिल सहित 26 नामजद व अन्य पर मुकदमा शहर कोतवाली में दर्ज हुआ था। चरखारी, कुलपहाड़, अजनर व थाना पनवाड़ी में भी छह मुकदमे दर्ज है।
अब तक महिल समेत 19 आरोपितों को जेल भेजा जा चुका है। कृषि विभाग के बीमा पटल सहायक अतुलेंद्र विक्रम को भी निलंबित किया जा चुका है। 24 सितंबर को जिला सत्र न्यायालय ने पांच आरोपितों की जमानत भी खारिज कर दी थी।
इस तरह किया गया फर्जीवाड़ा
फसल बीमा में फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने कंपनी से सांठगांठ कर ऐसे गांवों को चुना, जहां चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। बीमा करने के लिए पोर्टल (प्रधानमंत्री फसल बीमा पोर्टल) पर भू-स्वामी व बटाईदार अपना बीमा करा सकता है।
चकबंदी प्रक्रिया वाले गांवों का डाटा प्रदर्शित नहीं होता, जिससे कोई भी 10 रुपये के स्टांप पर बटाईनामा बनवाकर जमीन पर बीमा करा सकता है। इसमें वह जो जानकारी भर देता है वह सही मानी जाती है। खाली स्टांप भी इसमें लगाया जा सकता है। उसी के कागजातों के आधार पर बीमा होता है।
इसकी जांच बीमा कंपनी ही करती है। इसके बाद व्यक्ति टोल फ्री नंबर पर फोन कर नुकसान की जानकारी देता है। इसकी जांच भी बीमा कंपनी करती है और क्लेम पास कर भुगतान दे देती है।
जाहिर है कहीं न कहीं बीमा कंपनी के लोग भी इसमें शामिल है। किसी भी मामले का सत्यापन नहीं किया गया। यदि सत्यापन कराया जाता तो शायद फर्जी भुगतान होने से बच जाता।
पूरे मामले की अभी जांच चल रही है, जिन भी दोषियों के नाम सामने आ रहे है। कार्रवाई कराई जा रही है।
- रामसजीवन, उपनिदेशक कृषिउपनिदेशक कृषि से कहा गया है कि अपने स्तर से वह जांच कराकर आख्या उपलब्ध कराएं। जांच के बाद लगातार कार्रवाई की जा रही है। दोषियों को जेल भेजा जा रहा है। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
- वंदना सिंह, एएसपीपिछले साल बीमा पोर्टल पर आटो अप्रूव्ड का आप्शन था। जिससे अपने आप पालिसी अप्रूव्ड हो जाती थी। लेकिन इस बार इसे समाप्त कर दिया गया है। करीब 46 हजार किसानों का डाटा सही नहीं था। इसे वापस कर सही डाटा देने को कहा गया है। अब तक अभिलेखीय कमी मिलने पर 4-5 हजार पालिसी निरस्त की जा चुकी है।
- दुर्गेश सिंह, जिला कृषि अधिकारी

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