महोबा में मयूर नृत्य के बीच खनक उठे घुंघरू
संवाद सूत्र भरवारा (महोबा) बुंदेली कला का अद्भुत नमूना है मौनियों का दीवारी नृत्य। खासकर इ

संवाद सूत्र भरवारा, (महोबा): बुंदेली कला का अद्भुत नमूना है मौनियों का दीवारी नृत्य। खासकर इसकी शुरुआत देवोत्थान एकादशी से हो जाती है। बुधवार देर रात और गुरुवार को दीवारी नृत्य करते हुए मौनियां मंदिरों में पहुंचे और पूजा की। वहां काफी देर तक लट्ठमार दीवारी नृत्य खेला गया।
कुलपहाड़ के पठारी कुइयां स्थित अर्धकुंवारी माता मंदिर व भरवारा के गौड़ बाबा मंदिर में देवोत्थान एकादशी पर मेला लगा। सजी दुकानों से महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। इस दौरान मंदिर में कबीर पंथी भजनों का आयोजन किया गया। कार्तिक स्नान करने वाली महिलाओं ने मंदिर में कृष्ण और गोपियों के संवाद किए। ग्वालों को दही खिलाया। पनवाड़ी विकास खंड के भरवारा गांव में विभिन्न स्थानों पर बुधवार को दीवारी नृत्य का आयोजन किया गया। इसके अलावा गांवों के विभिन्न मंदिर स्थलों पर दिवारियों का जमघट देखने को मिला। नृत्य में शामिल कलाकारों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। युवा कलाकारों ने ढोलक व नगाड़े की थाप पर विभिन्न प्रकार के गीत व लमटेरा गाकर भक्ति में सराबोर मयूर पंखों व घुंघरू की गूंज के बीच दीवारी नृत्य किया। टीम के कलाकारों ने, ऊंची व लंबी कूद की ऐसी कलाएं दिखाईं तो दर्शकों ने दांतों तले उंगली दबा ली। दीवारी नृत्य में शामिल टीमों का उत्साहवर्धन मौजूद दर्शकों ने किया। इस मौके पर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि जयचंद राजपूत ,योगेंद्र सक्सेना ,पंडित देवेंद्र कुमार पटैरिया,भानप्रकाश राजपूत,कमलेश आदि ने टीम के सदस्यों को पुरस्कार भी बांटे। दीवारी में मोहित 12 वर्षीय, दीपक 12 वर्षीय नव दीवारी कलाकारों की कला को खूब सराहा गया।
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