भीषण गर्मी में पानी को तरस रहा यूपी का ये शहर, टैंकर आते ही मच जाती है खलबली… हो जाती है मारपीट
महोबा में जल संकट गहरा गया है शहर के कई मोहल्लों में पानी की किल्लत हो रही है। शेखूनगर में तीन माह से पेयजल आपूर्ति बाधित है लोगों ने खाली बर्तन रखकर प्रदर्शन किया और पानी की टंकी बनवाने की मांग की। प्रशासन के प्रति नाराजगी है लोग टैंकर का इंतजार करते हैं और पानी भरने को लेकर विवाद तक हो जाता है।

जागरण संवाददाता, महोबा। अधिकारियों की लापरवाही से शहर के कई मोहल्लों में जल का घोर संकट लगातार बना है। पानी के लिए नागरिक खाली बर्तन रखकर जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं और जिम्मेदार मौन साधे हैं। शेखूनगर में जिला प्रशासन के प्रति गुरुवार को भी गुस्सा देखने को मिला। लोगों की मांग है कि मोहल्ले में पानी की टंकी बनवाई जाए।
कहीं जल की बर्बादी तो कहीं लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। भीषण गर्मी में शहर के कई मोहल्ले ऐसे हैं, जहां पर पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
काम धंधा छोड़कर पानी भरना पड़ रहा
बुधवार को मोहल्ला शेखूनगर में दर्जनों महिलाओं ने मार्ग पर खाली बर्तन रखकर प्रदर्शन किया था और मुहल्ले में पानी की टंकी बनवाने की मांग की थी।
यहां पर तीन माह से पेयजल आपूर्ति बाधित है और अधिकारियों के ध्यान न देने से नागरिकों को पानी के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है और काम धंधा छोड़कर पानी भरना पड़ रहा है।
चार हजार की आबादी को नहीं मिल रहा पानी
शेखूनगर में चार हजार की आबादी को पानी न मिलने से प्रशासन के प्रति नाराजगी है। मोहल्लों में घंटों लोग टैंकर का इंतजार करते हैं और जैसे ही टैंकर आता है पानी के लिए लोग टूट पड़ते हैं। पानी भरने को लेकर विवाद और मारपीट तक हो जाती है।
नागरिकों के अनुसार, मोहल्ले में साल गर्मी में पानी की किल्लत होती है इसके बाद भी जिम्मेदार कोई ठोस इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं।
निर्माण कार्य में भी कुओं का पानी इस्तेमाल
शेखूनगर में जहां लोगों को पानी नहीं मिल रहा है, वहीं शहर में कई मोहल्ले ऐसे हैं, जहां पर कुओं में मोटरों को लगाकर पानी की बर्बादी की जा रही है। कुछ कुएं तो ऐसे हें जिनमें कई कई मोटर लगी हैं।
निर्माण कार्य में भी कुओं का पानी इस्तेमाल किया जा रहा है। पानी की बर्बादी हो रही है और पालिका प्रशासन चुप्पी साधे बैठी हैं।
जागरूक लोगों का कहना है कि यदि इसी तरह पानी बर्बाद होता रहा तो कुछ ही दिनों में कुएं सूख जाएंगे और लोग टैंकरों पर आश्रित हो जाएंगे।
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