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    शुरू हुई सूर्य मंदिर को संवारने की कवायद

    By Edited By: Updated: Fri, 08 Feb 2013 12:34 AM (IST)

    महोबा, कार्यालय संवाददाता : कोणार्क के सूर्य मंदिर की तर्ज पर बने मुख्यालय के ऐतिहासिक सूर्य मंदिर की बदहाल तस्वीर अब निखरने वाली है। पुरातत्व विभाग ने उपेक्षा से कराह रही इस धरोहर को सजाने संवारने की कवायद शुरू कर दी है। अर्से से बदहाल पड़ा रहिलिया का सूर्य मंदिर कुछ माह में पुराने रूप में दिखेगा। बीते एक माह से जमीदोज हो चुके मंदिर के अवशेषों को सहेजने का काम चल रहा है। अस्तित्व को बनाये रखने के लिए पूरी तरह नष्ट हो चुके पत्थरों को उसी डिजाइन में ढाला जाएगा। जिससे निर्माण के बाद मंदिर की वास्तविकता नजर आए।

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    क्या है मंदिर का इतिहास

    महोबा : चंदेलकालीन शासक नरेश राहिल देववर्मन ने (890-915) ई. के बीच राहिल सागर के निर्माण के बाद इसके तट पर कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर की तर्ज पर रहेलिया के सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था। जिसमें ग्रेनाइट शिलाओं का प्रयोग किया गया है। कहा जाता है कि करीब 12 शताब्दी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने आक्रमण कर इस मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था।

    चूने के निर्माण से मिलेगी मजबूती

    महोबा : ऐतिहासिक स्थल को दुरुस्त कर रहे बीना (मप्र) निवासी राजमिस्त्री (कारीगर) नीलेश बताते है कि पत्थरों को जोड़ने में सीमेंट के साथ चूने व राबिस(ईट का चूरा) मिलाने के कई दशक इमारत की मजबूती बनी रहती है। वह राजा भोज की हवेली के साथ राघव मंदिर में निर्माण कार्य कर चुके है।

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