तानों को चुनौती देकर ‘फिटनेस क्वीन’ बनी रोमा गुप्ता, 24 की उम्र में 100 से अधिक मेडल
सिंदुरिया की रोमा गुप्ता ने समाज की बाधाओं को पार कर पावरलिफ्टिंग और बॉडी बिल्डिंग में सफलता हासिल की। परिवार के विरोध के बावजूद उन्होंने दिल्ली में जिम ट्रेनर बनकर 400 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया। रोमा ग्रामीण लड़कियों को प्रेरित करती हैं कि वे समाज के डर से बाहर निकलकर अपने सपने पूरे करें और उन्होंने 100 से अधिक मेडल जीते हैं।

प्रदीप कुमार मिश्र, महाराजगंज। जमुई पिपरिया गांव की रहने वाली 24 वर्षीय रोमा गुप्ता ने समाज के तानों और परिवार की नाराजगी को चुनौती देते हुए पावरलिफ्टिंग और बाडी बिल्डिंग के क्षेत्र में नया इतिहास रचा है। किसान पिता और गृहणी मां की चौथी संतान रोमा ने जब पावरलिफ्टिंग की शुरुआत की तो गांव के लोग ही नहीं, बल्कि खुद पिता ने भी समाज के डर से उसका विरोध किया।
रोमा बताती हैं, “शुरुआत में पिता ने इतना तक कह दिया था कि ‘जहर खा लो’, लेकिन मैंने हार नहीं मानी।और फिर पिता ने भी बेटी के हौंसलों का साथ दिया और बेटी ने वह कर दिखाया जिसका उसने सपना संजोया था।
आर्थिक तंगी के बावजूद रोमा ने अपने सपनों को पंख दिए। मुकाम बनाने के लिए वह गांव छोड़कर दिल्ली चली गई, जहां शुरूआती दिनों में कई मुश्किलें झेलनी पड़ीं। दिल्ली पहुंचने पर उसके पास जिम की फीस के लिए आर्थिक तंगी झेलनी पड़ी।
अपनी मेहनत की वजह से उसने न सिर्फ स्वयं को फिट किया बल्कि एक जिम ट्रेनर के रूप में खुद को स्थापित करने में सफलता भी प्राप्त की। आज वह दिल्ली में रोज़ 10 घंटे की नौकरी करती हैं और अब तक 400 से अधिक लोगों को फिटनेस ट्रेनिंग दे चुकी हैं।
पिता से पैसे मांगने में शर्म महसूस होने के कारण ही उन्होंने काम करना शुरू किया, ताकि अपने सपनों के लिए खुद खर्च उठा सकें।
समाज की पाबंदियों को तोड़कर बनी प्रेरणा
रोमा का कहना है, “कोई भी लड़की गांव और समाज की पाबंदियों को तोड़ सकती है। लोग ताने मारते हैं, लेकिन मेहनत खुद करनी पड़ती है।” गांव की लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने वाली रोमा बताती हैं, कि वह स्वयं समाज भय के बीच लड़कियों की आवाज बनना चाहती हैं, ताकि ग्रामीण युवतियां डर और तानों से बाहर आकर अपनी राह बना सकें।
100 से अधिक मेडल, 400 लोगों को फिट किया
रोमा अब तक पावरलिफ्टिंग और बाडी बिल्डिंग में 100 से अधिक मेडल जीत चुकी हैं, इसके साथ ही दिल्ली से लेकर अबतक जिले में कुल 400 लोगों को फिट बना चुकी है।
2024 में भी उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पावरलिफ्टिंग में मेडल हासिल किया। उनका लक्ष्य है, कि वह देश का प्रतिनिधित्व करते हुए ग्रामीण अंचल की बेटियों के लिए मिसाल कायम करें। ताकि किसी भी बेटी का सपना समाज के तानों से टूट न जाए।
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