यूपी के इस जिले में पराली जलाने की हुई 17 घटनाएं, दिन भर दौड़ते रहे अधिकारी
महाराजगंज जिले में पराली जलाने की घटनाओं पर प्रशासन सख्त हो गया है। मंगलवार को 72 मामले दर्ज होने के बाद, बुधवार को यह संख्या घटकर 17 रह गई। कृषि विभाग किसानों पर कार्रवाई कर रहा है और निगरानी बढ़ा दी गई है। अधिकारियों ने पराली जलाने के खतरों के बारे में किसानों को जागरूक किया और सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।

जागरण संवाददाता, महराजगंज। जिले में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर प्रशासन की सख्ती का असर दिखने लगा है। मंगलवार को रिकार्ड 72 घटनाएं दर्ज होने के बाद बुधवार को यह संख्या घटकर सिर्फ 17 रह गई। ताजा आंकड़ों के अनुसार अब तक जिले में पराली जलाने की कुल घटनाएं 374 हो चुकी हैं। उप कृषि निदेशक संजीव कुमार ने बताया कि पराली जलाने वाले किसानों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है और टीमें खेत-खेत पहुंचकर निगरानी कर रही हैं।
मंगलवार को बड़ी संख्या में दर्ज घटनाओं के बाद प्रशासनिक गतिविधियां तेज हुईं। लेखपालों, एसडीएमों, थानाध्यक्षों और कृषि विभाग के अधिकारियों को मिले नोटिसों के बाद पुलिस, राजस्व और कृषि विभाग की संयुक्त टीमें दिनभर अलर्ट रहीं। परिणामस्वरूप बुधवार को पराली जलाने के मामले उल्लेखनीय रूप से कम हो गए।
इसी दौरान झुलनीपुर के बढैपुरवा में पराली जलाने की सूचना पर शीतलापुर चौकी प्रभारी अनूप कुमार सिंह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों की मदद से आग बुझाई। किसानों को कड़ी चेतावनी देते हुए बताया गया कि पराली जलाना स्वास्थ्य, पर्यावरण और मिट्टी की उर्वरता सभी के लिए बेहद हानिकारक है।
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वहीं नौतनवा क्षेत्र में भी डंठल जलाने की घटनाएं सामने आईं, जहां ग्रामीणों ने प्रशासन की धीमी कार्रवाई पर नाराजगी जताई, लेकिन एसडीएम नवीन प्रसाद ने आश्वासन दिया कि सभी शिकायतों पर सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा भैया फरेंदा में एसडीएम शैलेंद्र गौतम व सीओ अनिरुद्ध कुमार ने खुद जलती पराली बुझवाई और किसानों को जागरूक किया।
अधिकारियों ने बताया कि पराली जलाना कानूनन अपराध है, जो स्वास्थ्य के लिए उतना ही खतरनाक है, जितना 100 सिगरेट एक साथ पीना। प्रशासन ने स्पष्ट चेतावनी दी है, कि पराली जलाने पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी और जागरूकता अभियान और मजबूत किया जाएगा, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं और कम हों।

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