30 साल से फर्जीवाड़े पर टिके रहे शिक्षक, विभागीय मिलीभगत से चलते रहे स्कूल
महराजगंज में फर्जी प्रमाणपत्रों पर नौकरी कर रहे शिक्षकों का भंडाफोड़ हुआ है। 1995 और 1997 से नौकरी कर रहे दो शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है। जांच में पता चला कि विभागीय मिलीभगत से इन शिक्षकों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की थी। बेसिक शिक्षा विभाग अब इन शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है।

सच्चिदानंद मिश्र, महराजगंज। बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े का खुलासा अब नए सवाल खड़े कर रहा है। फर्जी प्रमाणपत्रों पर 30 और 27 वर्ष के दो शिक्षकों के साथ बर्खास्त किए गए चार फर्जी शिक्षकों और एक पर कार्रवाई शुरू होने की पूरी कहानी बताती है, कि विभागीय मिलीभगत ने किस तरह वर्षों तक इनको संरक्षण दिया।
पहला मामला शिवशंकर यादव का है, जिन्हें 22 अगस्त 1995 को मिठौरा ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय परसौनी में प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्ति मिली थी। जांच में उनके हाईस्कूल (1977) और इंटर (1979) प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। इसके बावजूद वे 30 साल से बच्चों के भविष्य से खेलते रहे।
दूसरे, घनश्याम की नियुक्ति 1997 में बहराइच में हुई थी, बाद में 2003 में महराजगंज में स्थानांतरण हो गया। उनका भी हाईस्कूल प्रमाणपत्र (1984) फर्जी साबित हुआ। इन दोनों का मामला इस बात का सबूत है, कि विभाग में नियुक्ति के समय प्रापर वेरिफिकेशन महज औपचारिकता बनकर रह गया। इसके बाद नई पीढ़ी के फर्जी शिक्षकों का नाम जुड़ा।
घुघली की शबाना खातून, परतावल के खुशबुद्दीन और बसहिया बुजुर्ग की जगलक्ष्मी के फर्जी टीईटी प्रमाणपत्र के आधार पर 2016 में नियुक्ति पाई। तकनीक उन्नत होने के बाद भी जब दस्तावेजों का सही सत्यापन संभव था, तब भी इनकी फर्जी डिग्रियां विभागीय बाबुओं की मिलीभगत से वैध बना दी गईं।
बर्खास्त होने के बाद मुकदमा दर्ज कराने से कतरा रहे खंड शिक्षा अधिकारी
बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की बर्खास्तगी के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा खंड शिक्षा अधिकारियों को आरोपित शिक्षकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया जाता है। लेकिन खंड शिक्षा अधिकारी इन आरोपित शिक्षकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने से कतरा रहे हैं।
करीब दो माह पूर्व बर्खास्त हुए दो आरोपित शिक्षकों पर सिसवा के खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा मुकदमा नहीं दर्ज कराया जा सका है।
फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर नौकरी करने वालों के विरुद्ध भी चल रही है जांच
बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्रों के साथ ही फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध भी जांच चल रही है। जिसमें निचलौल ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय धमऊर में तैनात शैलेंष कुमार गौड़ एवं कंपोजिट विद्यालय धमऊर में तैनात कृष्ण कुमार गौड़ का नाम शामिल है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दोनों शिक्षकों के जाति प्रमाणपत्रों के सत्यापन कराने के लिए निचलौल खंड शिक्षा अधिकारी को आदेश दिया है।
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