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    Maharajganj Lok Sabha Seat: यूपी के इस सीट पर इंडी गठबंधन के सामने चुनौती बनी मोदी की गारंटी, दिग्‍गज नेताओं ने भरी है हुंकार

    महराजगंज से छह बार सांसद बन चुके पंकज चौधरी एक बार फिर भाजपा के प्रत्याशी हैं। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी अब तक यहां से आठ बार लड़े हैं जिसमें सिर्फ दो बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस ने विधायक वीरेन्द्र चौधरी को मैदान में उतारा है। बसपा ने इस सीट पर मोहम्मद मौसमे आलम को उतारा है।

    By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 01 Jun 2024 11:10 AM (IST)
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    बाएं से पंकज चौधरी-भाजपा, वीरेंद्र चौधरी-कांग्रेस, मौसमे आलम-बसपा। जागरण

     विश्वदीपक त्रिपाठी, जागरण महराजगंज। ढाई माह से जारी चुनावी शोर थमने के बाद अब तराई का सियासी रण निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। मतदान शुरू होने में चंद घंटे शेष हैं। ऐसे में अब प्रत्याशी जीत के लिए हर दांव सोच समझ कर चल रहे हैं। जहां से भी उन्हें बात बिगड़ती नजर आ रही है, वहां मजबूत व्यूह रचना कर किलेबंदी शुरू कर दी जा रही है।

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    केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री व भाजपा प्रत्याशी पंकज चौधरी, कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र चौधरी व बसपा के मोहम्मद मौसमे आलम शुक्रवार को भी जीत के लिए चाल चलते रहे। भाजपा को मोदी व योगी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा है। किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला गैस योजना, आयुष्मान भारत योजना, मुफ्त राशन, शौचालय, आवास, हर घर जल योजना के लाभार्थियों को भाजपाई अपना बेस वोटर मान रहे हैं।

    जातीय गणित के हिसाब से भी भगवा ब्रिगेड कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है। इंडी गठबंधन पूरी तरह से जातिगत समीकरण पर जोर दे रहा है। लेकिन लोगों की चर्चाओं पर गौर करें तो इस चुनाव में जातीय गणित के सामने मोदी की गारंटी चुनौती बनकर खड़ी है।

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    महराजगंज में भाजपा द्वारा सामान्य वर्ग के मतदाताओं के साथ, पिछड़ी व अनुसूचित जाति के वोटरों को अपने पक्ष में रोकने के लिए मजबूत किलेबंदी की गई है। चुनाव में सपा के सिंबल पर प्रत्याशी खड़ा न होने का फायदा भी भाजपा के नेता उठाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। सपा के परंपरागत यादव जाति के मतदाताओं में सेंधमारी का प्रयास भी हो रहा है।

    महिला मुस्लिम वोटरों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए भाजपा महिला मोर्चा के पदाधिकारियों को लगाया गया है। मुस्लिम बहुल गांवों में महिला कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ा दी गई है। जातीय समीकरण व विकास योजनाओं के बल पर भाजपा अपने को जीत के करीब मान रही है।

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    गृह मंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महराजगंज के सियासी रण को मथ चुके हैं। उन्होंने सभाओं के जरिए प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाया है। इंडी गठबंधन को मुस्लिम व यादव मतदाताओं के भरोसे चुनावी नैया पार करने की उम्मीद है। गठबंधन के नेता कुर्मी मतदाताओं में भी सेंधमारी के प्रयास में हैं।

    भाजपा के परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले कुर्मी व पटेल मतदाताओं की महराजगंज में आबादी लगभग 11 प्रतिशत है। इस वोट बैंक में सेंधमारी के लिए बिरादरी के बड़े बुजुर्गों व नाते-रिश्तेदारों को भी मैदान में उतार दिया गया है। रिश्तों की दुहाई देकर सियासी हवा का रुख मोड़ने की कोशिश हो रही है।

    इंडी गठबंधन के पक्ष में मल्लिकार्जुन खरगे व अखिलेश यादव ने भी हुंकार भरी है। बसपा प्रत्याशी मो. मौसमे आलम का पूरा प्रयास स्वजातीय मतदाताओं के साथ पार्टी के परंपरागत वोट बैंक को सहेजे रखने का है। इसके लिए अंतिम दौर में उनका पूरा फोकस मुस्लिम बहुल गांवों के समूह बयालीस गांवा क्षेत्र में रहा।

    सभी अपने समीकरण के हिसाब से चुनावी जीत की गणित बैठा रहे हैं। वहीं प्रत्याशियों का मन टटोल रहा मतदाता विकास व देश में सशक्त नेतृत्व के मुद्दे पर ईवीएम का बटन दबाने का मन बना चुका है।