महराजगंज में लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर का काम अंतिम चरण में, मिलेगी सुविधा
महराजगंज में लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर का काम लगभग पूरा होने वाला है। आवास और कुछ अन्य कार्य बाकी हैं। चिकित्सक और कर्मचारियों की नियुक्ति के बाद शासन की मंजूरी का इंतजार है। उम्मीद है कि अगले वर्ष तक यह सेंटर शुरू हो जाएगा, जिससे वन्यजीवों को बेहतर सुविधा मिल सकेगी।

तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
जागरण संवाददाता, निचलौल। सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के मधवलिया वन क्षेत्र में 15 करोड़ से बन रहे लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर का काम अंतिम चरण में चल रहा है। उसके अगले वर्ष में शुरू होने की उम्मीद है। इसके संचालित होने से बीमार वन्य वन्य जीवों के इलाज की सुविधा यहां पर ही शुरू हो जाएगी। अभी तक यहां स्थानीय पशु चिकित्सक का सहारा लिया जा रहा था। आवश्यकता पड़ने पर लखनऊ स्थित चिड़ियाघर भी भेजा जाता रहा है।
वाइल्ड लाइफ अस्पताल और क्वारंटाइन सेंटर भवन लगभग बनकर तैयार है। जबकि चिकित्सक आवास एवं वन्य जीव रेस्क्यू पुनर्वास केंद्र का काम अंतिम चरण में चल रहा है। यहां वाइल्ड लाइफ अस्पताल में मेडिकल स्टोर, चिकित्सक कक्ष, मेडिकल स्टाफ रुम, आपरेशन थियेटर,एक्सक्यूज़र ब्लाक, वन्यजीवों के लिए किचेन,पोस्टमार्टम हाउस, वन्य जीवों के शवो के अंतिम क्रिया के लिए शवदान गृह का भी निर्माण कराया गया है।
चिकित्सक व कर्मचारियों के रहने लिए आवास निर्माण चल रहा है। यहां पानी की टंकी व विद्युत व्यवस्था के लिए सोलर ऊर्जा आधारित प्लांट तथा एक जेनरेटर की व्यवस्था हो रही है। इसके साथ विभाग विद्युत कनेक्शन के लिए भी प्रयासरत हैं। यह केंद्र सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त होगा। क्लिनिकल ब्लाक में घायल या बीमार जानवरों के लिए एक्सक्यूज़र के जरिए उन्हें नियंत्रित कर आसानी से उनका इलाज किया जाएगा।
रेस्क्यू पुनर्वास केंद्र में रहने के लिए एक टाइगर को रखने की व्यवस्था है। इनका किचेन भी पूर्ण रूप से सुविधा युक्त रहेगा। जहां उनके खाने पीने की पूरी समुचित व्यवस्था रहेगी। इनके मृत्यु हो जाने पर उनका पोस्टमार्टम भी यहीं पर किया जाएगा। उसके बाद उनके अंत्येष्टि के लिए शवदान गृह बनाया गया है। जहां इलेक्ट्रिक संयंत्र से उनके शवों की अंतिम क्रिया संपन्न कर दी जाएगी।
लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर का काम अंतिम चरण में चल रहा है। आवास व कुछ अन्य कार्य ही शेष रह गए हैं। चिकित्सक व कर्मचारियों की नियुक्ति के बाद शासन की मंजूरी मिलने पर यहां काम शुरू हो जाएगा। अगले वर्ष इसके पूरा हो जाने उम्मीद है।
अजीत कुमार, वन क्षेत्राधिकारी मधवलिया

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