Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नींव खोद रहे थे मजदूर, जमीन से निकला 36 किलो वजनी घड़ा, खोलकर देखा तो उड़े होश… हाथ लगा खजाना!

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 05:58 AM (IST)

    महाराजगंज जिले के बनारसिहा कला में बौद्ध स्तूप देवदह की खुदाई में कुषाणकालीन सिक्के मिले हैं। 36 किलोग्राम के तांबे के सिक्के मिट्टी के घड़े में पाए गए। पुरातत्व अधिकारी कृष्ण मोहन द्विवेदी ने सिक्कों को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। पहले भी इस क्षेत्र में कुषाणकालीन अवशेष मिले हैं जिससे इसके बुद्ध की ननिहाल होने की संभावना है।

    Hero Image
    बनरसिहा कला में चहारदीवारी निर्माण के दौरान मिले कुषाणकालीन सिक्के

    जागरण संवाददाता, महराजगंज। लक्ष्मीपुर क्षेत्र के ग्राम पंचायत बनरसिहा कला के बौद्ध स्तूप देवदह के चहारदीवारी निर्माण के लिए नींव खोदाई के दौरान श्रमिकों को एक घड़े में कुषाणकालीन (30 ईस्वी से 375 ईस्वी तक) सिक्के मिले हैं। मिट्टी के घड़े सहित सिक्के का कुल वजन 36 किलोग्राम है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी कृष्ण मोहन द्विवेदी रविवार की शाम सिक्कों को अपने कब्जे में लेकर राज्य पुरातत्व विभाग के कार्यालय लखनऊ ले गए। बनरसिहा कला की 88.8 एकड़ भूमि को पुरातत्व विभाग ने संरक्षित किया है। यहां विभाग ने बीते वर्ष दो चरण में उत्खनन भी कराया था।

    अब तक के उत्खनन में कुषाणकाल तक के साक्ष्य मिले हैं। पुरात्वविद् इसे बुद्ध की ननिहाल देवदह होने की संभावना जता रहे हैं, हालांकि इस तरह का अभी कोई प्रमाण नहीं मिला है। राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा बनरसिहा काल में दो चरण में उत्खनन कराया गया है।

    उत्खनन के दौरान मिट्टी के वर्तन, रिंगबेल, खिलौने, दीवार आदि मिली थी। उत्खनन स्थल को संरक्षित करने के लिए पहले चारों तरफ तारबाड़ लगाया गया था। वर्तमान में विभाग द्वारा यहां चहारदीवारी का निर्माण कराया जा रहा है।

    रविवार को चहारदीवारी के लिए श्रमिक नींव की खोदाई कर रहे थे। इसी दौरान एक मिट्टी का घड़ा बरामद हुआ। जब श्रमिकों ने घड़े के अंदर देखा तो उसमें उसमें तांबे के सिक्के रखे थे। सिक्के मिलने पर चौकीदार ओमप्रकाश ने उसे अपने पास रख पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को सूचना दी।

    क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी गोरखपुर कृष्ण मोहन द्विवेदी ने बताया कि घड़े में बरामद सिक्के कुषाणकालीन हैं। सभी सिक्के तांबे के हैं। इसके पहले भी यहां से सिक्के बरामद हो चुके हैं। यह स्थल कुषाणकालीन नगर था। ऐसे में यहां सिक्कों का मिलना स्वभाविक है।