एसएमएस वाले कंबाइन हार्वेस्टर से काटें फसल: डीएम
डीएम ने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र जैसे स्ट्रा रीपर स्ट्रा रेक व रेसर मल्चर पैड़ी स्ट्रा चापर श्रब मास्टर रोटरी स्लेवर रिवर्सिबुल को कंबाइन हार्वेस्टर के साथ मैनेजमेंट किया जा सकता है।

महराजगंज: जिलाधिकारी डा. उज्ज्वल कुमार द्वारा कलेक्ट्रेट सभागार में फसल अवशेष, पराली को प्रबंधन के लिए कंबाइन मशीन मालिकों के साथ बैठक की। इस दौरान जिलाधिकारी ने कंपाइन मशीन मालिकों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने के लिए निर्देशित किया। साथ ही खेतों में पराली नहीं जलाने के लिए, भूमि को स्वच्छ एवं समृद्ध तथा पर्यावरण को बचाने के उद्देश्य से कंपाइन मालिकों को शपथ दिलाई गई।
जिलाधिकारी ने कहा कि हर हाल में कंपाइन मशीन में सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) लगवा कर ही फसल न काटें। किसानों से कम चार्ज के लिए सहयोगात्मक विचार किए जाए। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान कम हो। जिलाधिकारी ने जिला कृषि अधिकारी को निर्देशित किया कि ब्लाक स्तर पर भी किसानों से पराली प्रबंधन की व्यवस्था संबंधी जानकारी प्राप्त कराई जाए। उन्होंने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र, जैसे स्ट्रा रीपर, स्ट्रा रेक व रेसर, मल्चर, पैड़ी, स्ट्रा चापर, श्रब मास्टर, रोटरी स्लेवर, रिवर्सिबुल को कंबाइन हार्वेस्टर के साथ मैनेजमेंट किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जनपद में 1000 कंपाइन हार्वेस्टर मशीन की खरीद का रजिस्ट्रेशन है तथा लगभग 50 ग्राम सभाओ में समितियों द्वारा कृषि यन्त्रों की खरीद की जा चुकी है। इसके पूर्व एलसीडी के माध्यम से कृषि यन्त्रों की वीडियो दिखाई गई।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी गौरव सिंह सोगरवाल, उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी डा. राजेश कुमार, कृषि अधिकारी विरेन्द्र कुमार, भूमि संरक्षण अधिकारी रविशंकर पांडेय, कंपाइन हार्वेस्टर मालिक कुलदीप वर्मा, अभय सिह, जितेन्द्र यादव, जुगानी, मोरचे यादव, अरसद अली, हरिचरन चौधरी, हरिशंकर कुशवाहा, गोपाल पटेल, राम अशीष यादव आदि उपस्थित रहे। क्या है एसएमएस वाली कंपाइन
सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) वाली कंपाइन से कटाई करने पर फसल के अवशेष एकत्रित होते रहते हैं। इन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काटता है। जिससे किसान इसे जलाए बिना अगली फसल की बुआई कर सकता। इसके विपरीत बिना एसएमएस वाली कंपाइन से कटाई के दौरान अवशेष को मशीन बाहर खेत में ही फेकती चलती है। इससे किसान उन्हें इकट्ठा करने की बजाए आग लगा देते हैं। इसी के चलते बिना एसएमएस वाली कंबाइन से कटाई पर रोक लगाई गई है। सावधान रहें किसान, धान की बालियों पर कीटों का खतरा
महराजगंज: इस समय खरीफ की मुख्य फसल धान खेतों में लहलहा रही है। इसकी बालियां निकल रहीं हैं। इसमें मिथ्या कंडुआ (हल्दिया रोग) लग सकता है। इसको लेकर किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है। किसान धान की फसल को बचाने के लिए लगातार खेतों की निगरानी करें। आवश्यकता पड़ने पर दवा का छिड़काव करें। इससे पैदावार नहीं घटेगी।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी हिमांचल सोनकर ने बताया कि फसल को रोग से सुरक्षित करना चाहिए। नहीं तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है। धान की फसल में हल्दिया रोग का प्रकोप उन क्षेत्रों में अधिक पाया जाता हैं, जहां वायुमंडल में आद्रता 80 प्रतिशत से अधिक है। तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस होता है। रोग का प्रसार हवा के द्वारा एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलता है। नाइट्रोजन की अधिक मात्रा भी इस रोग के फैलने में मदद करती है। जलभराव ज्यादा होने से भी फैलता है। रोग का लक्षण पुष्पीकरण के दौरान दिखाई देते हैं। विशेष रूप से जब बालियां पकने की अवस्था में पहुंचती हैं तो नारंगी, मखमली, अंडाकार हिस्सा जैसे दिखाई देता है। बाद में दाने पीले, हरे व काले रंग में बदल जाते हैं। कापर आक्सीक्लोराइड दो किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अथवा प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत 500 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
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