उत्तर प्रदेश के इस जिले में रेल परियोजना को लगे पंख, लागत- 477 करोड़; युवाओं को मिलेगा रोजगार
उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए खुशखबरी है। छितौनी-तमकुही रेल परियोजना को पुनर्जीवित करने हेतु केंद्र सरकार ने 477 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस परियोजना के पूरा होने से लगभग दो लाख लोगों को लाभ होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। क्षेत्र के लोगों ने इस परियोजना को फिर से शुरू करने के लिए लंबा संघर्ष किया था जिसके बाद अब उन्हें सफलता मिली है।

जागरण संवाददाता, पडरौना। यूपी-बिहार के सीमावर्ती 200 गांवों के लोगों के लिए अच्छी खबर है। यहां के लोगों के ट्रेन में सफर का सपना साकार होने वाला है। उन्हें बड़े शहरों में जाने के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए कप्तानगंज या गोरखपुर नहीं जाना पड़ेगा।
बंद पड़ी छितौनी-तमकुही रेल परियोजना को पुनर्जिवित करने के साथ ही केंद्र सरकार ने 477 करोड़ रुपये आवंटित किया है।
इस धन से रेल पटरी बिछाने एवं इलेक्ट्रिक व सिंगलिंग से जुड़े कार्य कराए जाएंगे। रेलवे ने टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी है। परियोजना के पूर्ण होने से इस क्षेत्र की लगभग दो लाख आबादी मुख्यधारा से जुड़ेगी तो विकास की नई किरण दिखेगी।
लगभग 62 किमी लंबी इस परियोजना का शिलान्यास वर्ष 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने छितौनी कस्बा में किया था। शुरुआती दिनों में आवंटित धन के हिसाब से पनियहवा से लगभग तीन किमी रेल लाइन बिछाकर छितौनी स्टेशन का निर्माण करा दिया गया था।
उस पर रेल का इंजन चलाकर ट्रायल भी कराया गया था। उसके बाद बजट के अभाव में काम आगे नहीं बढ़ पाया था। 2015-16 में धन मिला तो नैनहां तक मिट्टी भराई का कार्य व पांच-छह पुल-पुलियों का निर्माण हुआ। 2018 में इस परियोजना को अनुपयोगी बताकर रेल मंत्रालय ने बंद कर दिया था।
उसके बाद यूपी-बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों ने सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह व शैलेश यदुवंशी के नेतृत्व में संघर्ष समिति का गठन कर आंदोलन शुरू किया। पहले हस्ताक्षर अभियान, फिर हजारों पोस्टकार्ड भेजकर रेल मंत्री से परियोजना को शुरू कराने की मांग की।
कुशीनगर सांसद विजय कुमार दूबे के साथ संघर्ष समिति का प्रतिनिधि मंडल रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिल इस परियोजना से आमजन को मिलने वाले लाभ से अवगत कराया था। सांसद की ओर से इस मुद्दे को कई बार सदन में उठाकर केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया गया। पिछले वर्ष 10 करोड़ रुपये का बजट मिला तो परियोजना के पुनर्जिवित होने की किरण दिखने लगी थी।
वर्ष 2017 में हुआ था री-सर्वे
-छितौनी-तमकुही रेलवे लाइन बनाओ संघर्ष समिति की ओर से किए जा रहे आंदोलन और यूपी व बिहार के जनप्रतिनिधियों की ओर से लगातार पहल किए जाने का संज्ञान लेकर केंद्र सरकार ने परियोजना के लिए री-सर्वे का आदेश दिया था। 2018-19 में प्रशासनिक स्वीकृति मिली और परियोजना की लागत 1345 करोड़ से बढ़ाकर 1467 करोड़ किया गया था।
इन जगहों पर बनेंगे रेलवे स्टेशन
-गोरखपुर-नरकटियागंज रेल खंड के पनियहवा स्टेशन से 3.350 किमी छितौनी स्टेशन का निर्माण हो चुका है। उसके आगे 15.550 किमी पर जटहां बाजार, 28.700 किमी पर मधुबनी, 35 किमी पर धनहां, 38 किमी पर खैरा टोला, 49.750 किमी पर पिपरही स्टेशन बनाया जाएगा। उसके आगे कप्तानगंज-थाने रेल खंड के तमकुहीरोड स्टेशन को जंक्शन बनाया जाएगा।
बाढ़ की त्रासदी से होगा बचाव
-छितौनी-तमकुही रेल परियोजना के पूर्ण होने से उत्तर प्रदेश के छितौनी कस्बा से तमकुहीराज तक और बिहार के पिपरासी, मधुबनी, भितहां, ठकरहां, पिपरासी प्रखंड के लबेदहां व मंझरिया समेत सैकड़ों गांवों के लोग नारायणी नदी की बाढ़ से होने वाली त्रासदी से राहत पाएंगे। हजारों एकड़ फसलों की सुरक्षा हो सकेगी। रेलवे लाइन बांध के रूप में बाढ़ से बचाव करेगी।
आवागमन के साथ खुलेंगे रोजगार के द्वार
छितौनी-तमकुही रेलवे लाइन बनाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय सिंह, व्यापारी नेता रितेश रौनियार व रघुवर प्रसाद ने कहा कि इस परियोजना के पूर्ण होने पर यूपी-बिहार के लगभग 200 गांवों के लोगों को आवागमन की सुविधा मिलेगी तो क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार के अवसर सुलभ होंगे।
विभिन्न रेलवे स्टेशनों के समीप पटरी व्यवसायी, ठेला-खोमचा वालों को रोजगार मिलेगा। नारायणी नदी के दियारा में बसे गांवों के लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि 2018 में इस परियोजना को बंद कर दिया गया तो क्षेत्र के लोग मायूस हो गए।
संघर्ष समिति ने आंदोलन शुरू किया तो दोनों प्रदेशों के जनप्रतिनिधियों ने शासन स्तर पर पहल शुरू की। परियोजना के लिए धन आवंटित होने के साथ ही रेलवे ने टेंडर की कार्यवाही शुरू कर दी है। इससे ग्रामीणों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है।
जनहित से जुड़े इस मुद्दे को कई बार सदन में उठाया गया। रेल मंत्री से मिलकर उपयोगिता को बताई गई तो परियोजना ठंडे बस्ते से बाहर निकली। कार्य पूर्ण होने में लगभग दो वर्ष लगेंगे। जब पटरी पर ट्रेन गुजरेगी तो यूपी-बिहार के लोगों को बेहतर आवागमन की सुविधा मिलेगी।
-विजय कुमार दूबे, सांसद कुशीनगर
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।