चावल की हो रही तस्करी
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महराजगंज:
चावल के विदेशों में भेजे जाने के बाद भारत सरकार प्रतिबंध लगाये हुये है लेकिन कस्टम, पुलिस और एसएसबी के जवानों की आखों के सामने ही प्रतिदिन भारत का हजारों कुंतल चावल नेपाल के रास्ते चीन जा रहा है। यह स्थिति कोल्हुई से लेकर ठूठीबारी सीमा तक की है। यहां तक कि सोनौली जैसे मुख्य नाका, जहां सुरक्षा की प्राय: सभी एजेंसियां तैनात हैं, से भी सुबह से शाम और रात में पंक्तिबद्ध कैरियरों को माथे पर चावल की बोरियां लादे सीमा पार कर नेपाल में जाते सभी लोग अपनी आखों देख रहे हैं।
खुफिया सूत्रों की मानें तो भारत से जो चावल अथवा उसकी खुद्दी नेपाल जाती है, वह खासा बार्डर होते पहले तिब्बत फिर चीन चली जाती है। खुद्दी का इस्तेमाल वहां शराब बनाने में होता है लेकिन चावल का निर्यात चीन अपने मित्र देशों को कर उनसे अपने सम्बंधों को और प्रगाढ़ बनाने के लिये करता है। चावल की तस्करी कितने बड़े पैमाने पर हो रही है, उसे सोनौली, श्यामकाट, अहिरौली, अशोगवा, झिगटी, खैरा घाट, सुंडी घाट, जोगिया बारी आदि नाकों पर खड़े होकर कोई किसी भी दिन देख सकता है। कैरियर जिस धड़ल्ले से चावल को लेकर नेपाल सीमा की ओर जाते हैं, उसे देख लगता ही नहीं कि वे किसी दूसरे देश में कोई प्रतिबंधित सामान लेकर जा रहे हैं। बरगदवा के अशोगवा, सुंडीघाट व खैराघाट आदि रास्ते तो बाकायदे ट्रैक्टर ट्रालियों और बैलगाड़ियों आदि से चावल भेजे जाने की सूचना है।
इस सम्बंध में जब एसएसबी के अधिकारियों से बात की जाती है तो उनका दो टूक जवाब होता है कि उनका काम सीमा की सुरक्षा करना है, न कि तस्करी रोकना। पुलिस के अधिकारी कहते हैं कि तस्करी रोकना कस्टम का काम है। उनके जिम्मे तो वैसे ही बहुत सारे काम हैं जबकि कस्टम के लोग यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि उनके पास इतना स्टाफ नहीं कि पूरी सीमा पर नजर रखी जा सके। इस तरह तस्करी धड़ल्ले से जारी है।
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