हे पार्थ! गांडीव उठाओ और युद्ध करो
महराजगंज: मनुष्य को अपना कर्म करना चाहिए। उसे फल की चिन्ता नहीं। यदि कर्म सच्चे भाव से किया गया है ...और पढ़ें

महराजगंज:
मनुष्य को अपना कर्म करना चाहिए। उसे फल की चिन्ता नहीं। यदि कर्म सच्चे भाव से किया गया है तो का फल भी सुखदायी होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में यही उपदेश दिया है कि जो सच्चे लगन से कर्म करता है उसे उसी के अनुरूप फल अवश्य प्राप्त होती है।
यह बातें सोमवार को हरदी डाली गांव के कोटिया मंदिर पर चल रहे नौ दिवसीय शतचंडी महायज्ञ के दौरान प्रवचन करते हुए पं. विश्वम्भर मिश्रा ने कही। उन्होंने कहा कि जब कुरुक्षेत्र में अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के साथ पहुंचे तो अपनों को युद्ध भूमि में देख विचलित हो उठे। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि हे पार्थ तुम्हें केवल अपने कर्म पर विश्वास करना चाहिए। क्योंकि इस समय जहां तुम खड़े हो वे युद्ध भूमि है। यहां कोई अपना सगा नहीं है। तुम्हारा कर्म यहां युद्ध लड़ना है, न की सांसारिक मोह में पड़ना। इसलिए हे पार्थ गांडीव उठाओ और युद्ध करो। इसका परिणाम क्या होगा यह सोच समय न गवाओं। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को अपने कर्म पर विश्वास करना चाहिए। कर्म के अनुरूप ही भगवान उसका फल देता है।
इस दौरान मौनी बाबा उर्फ कौशल किशोर दास, पं. गिरिजा शंकर पाण्डेय, शिव कुमार, कृष्ण कुमार, किशुन मिश्रा, नरेश चौधरी, शेष मणि, मुनिराम, ममता, नीतू विश्वकर्मा, नेमा, गुड़िया, सुनीता यादव, चन्द्रभूषण, महेन्द्र चौधरी, रामदास, किशोर, राजेन्द्र व इन्द्र चौधरी आदि उपस्थित रहे।

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