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    बच्चों को प्रतिमाह 4000 रुपये दे रही है योगी सरकार, लाभ लेने के लिए कुछ शर्तों को करना होगा पूरा

    यूपी सरकार की स्पॉन्सरशिप योजना से अनाथ परित्यक्त और बाल भिक्षुकों के जीवन में बदलाव आ रहा है। इस योजना के तहत 18 साल तक के बच्चों को हर महीने 4 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है। अब तक 11860 बच्चों को सहायता प्रदान की जा चुकी है। इस योजना का उद्देश्य इन बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करना और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना है।

    By Nishant Yadav Edited By: Aysha Sheikh Updated: Tue, 27 Aug 2024 07:20 PM (IST)
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    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ - फाइल फोटो ।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। अनाथ, परित्यक्त और बाल भिक्षुओं (ओएएस) को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए योगी सरकार स्पांसरशिप योजना चला रही है। केंद्र सरकार के मिशन वात्सल्य कार्यक्रम के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 11860 बच्चों को 14.23 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की जा चुकी है।

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    योगी सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 20 हजार बच्चों को योजना से लाभांवित करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना में 18 साल तक उम्र के ओएएस बच्चों को प्रतिमाह चार हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जा रही है। इस योजना में पिछले वित्तीय वर्ष में सात हजार से अधिक बच्चों को 9.10 करोड़ रुपये की सहायता दी गई थी।

    खर्च कौन उठाता है? 

    महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव बी चंद्रकला ने बताया कि ओएएस बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 17 जुलाई 2022 को स्पांसरशिप योजना को मंजूरी दी थी। इस योजना में केंद्र सरकार 60 और राज्य सरकार 40 प्रतिशत खर्च वहन करती है।

    योजना का मुख्य उद्देश्य ओएएस बच्चे के भविष्य को सुनहरा बनाने के साथ उनके स्कूली जीवन को सुनिश्चित करना है। इस योजना का लाभ ऐसे अभिभावकों को दिया जा रहा है, जिनकी आय ग्रामीण क्षेत्रों में 72 हजार रुपये और शहरी क्षेत्रों में 96 हजार रुपये वार्षिक है। वहीं, जिनके माता-पिता या कानूनी अभिभावक दोनों की मृत्यु हो गई है, उन्हें आय सीमा में छूट दी गई है।

    महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक संदीप कौर ने बताया कि बाल तस्करी, बाल विवाह, बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति से बचाए गए, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित या दिव्यांग बच्चों को इस योजना में सहायता प्रदान की जाती है।

    इसके अलावा जेल में बंद माता-पिता वाले बच्चों, एचआइवी/एड्स से प्रभावित लोगों और जिनके अभिभावक आर्थिक, शारीरिक या मानसिक रूप से उनकी देखभाल करने में असमर्थ हैं, उन्हें भी सहायता प्रदान की जा रही है। इतना ही नहीं फुटपाथ पर जीवनयापन करने वाले, उत्पीड़न या शोषण के शिकार बच्चों को सहायता देने के साथ पुनर्वास की भी सुविधा प्रदान की जा रही है।

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