योगी सरकार की बड़ी तैयारी, झारखंड के बाद अब यूपी में भी नहीं जारी होंगे साहूकारी के लाइसेंस
गांवों तक बैंकों की पहुंच और सस्ते ऋण ने अधिनियम को बनाया अप्रासंगिक। योगी सरकार उप्र साहूकारी अधिनियम 1976 को समाप्त करने की तैयारी कर रही है। केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों को बैंकिंग सेवाएं तथा ऋण आसानी से प्राप्त हो रही हैं।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में साहूकारों द्वारा लोगों को उधार पर धन देने के धंधे को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लागू किये गए उप्र साहूकारी अधिनियम, 1976 को राज्य सरकार समाप्त करने की तैयारी कर रही है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में इस बारे में निर्णय लिया गया है।
बैठक में सहमति बनी कि वित्तीय समावेशन के तहत गांव-गिरांव तक बैंकों की पहुंच और लोगों को सस्ती ब्याज दरों पर ऋण की सुलभता के कारण अब यह अधिनियम अनुपयोगी और अप्रासंगिक हो गया है। इस अधिनियम को निरस्त करना उचित होगा। अधिनियम निरस्त होने के बाद उप्र में न तो साहूकारी के नए लाइसेंस जारी किये जा सकेंगे और न ही पुराने लाइसेंस का नवीनीकरण होगा।
बैंकिंग नेटवर्क भी बढ़ा : उप्र साहूकारी अधिनियम की उपयुक्तता, प्रासंगिकता और निरंतरता के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ सुझाव दिए थे। इन सुझावों के आधार पर अधिनियम की प्रासंगिकता के बारे में निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक करने की मंजूरी दी थी।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बीती 24 जून को हुई बैठक में राजस्व विभाग का मत था कि उत्तर प्रदेश साहूकारी अधिनियम, 1976 के लागू होने के समय बैंकिंग सेवाओं, आनलाइन बैंकिंग तथा नान बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) का लाभ सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों और जनसामान्य को सर्वसुलभ नहीं था। अब सरकारी और निजी बैंकों की सेवाएं दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में आनलाइन और आफलाइन माध्यम से सभी के लिए सुलभ हैं।
सस्ता ऋण भी सुलभ : केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाएं जैसे कि मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना सहित जनधन खातों के माध्यम से लोगों को बैंकिंग सेवाएं तथा ऋण की सुविधा बैंक शाखाओं, आनलाइन और बैंकिंग कारेस्पान्डेंट के माध्यम से प्राप्त हो रही हैं।
किसान क्रेडिट कार्डधारकों को बैंक सात प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करा रहे हैं। वहीं किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये किसानों को चार प्रतिशत ब्याज दर पर फसली ऋण मिल जाता है। वर्तमान में सरकारी व गैर सरकारी बैंक और फाइनेंस कंपनियां कम ब्याज दर पर गोल्ड लोन, पर्सनल लोन, शैक्षिक लोन, वाहन व हाउसिंग लोन तथा अन्य प्रकार के ऋण जनसामान्य को उपलब्ध करा रहे हैं।
साहूकार करते हैं शोषण : इसके विपरीत साहूकारी का लाइसेंस ज्यादातर स्वर्णकार प्राप्त करते हैं जिनके द्वारा कुल स्वर्ण आभूषण के लगभग 50 प्रतिशत मूल्य तक का ऋण 18 से 36 प्रतिशत तक ऊंची ब्याज दर पर दिया जाता है। उनके द्वारा कर्ज लेने वालों का शोषण किये जाने की शिकायतें भी मिलती हैं। वर्तमान में भारतीय रिजर्व बैंक ने विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों को स्वर्ण के मूल्य के 90 प्रतिशत तक ऋण प्रदान किये जाने की अनुमति दी गई है।
नहीं रह गई लाइसेंस में रुचि : राजस्व विभाग की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि वाराणसी जिले में वित्तीय वर्ष 2020-21 में साहूकारी का कोई लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। गोंडा जिले में अनियमितता पाये जाने पर 33 लाइसेंस निरस्त कर दिये गए और बाकी लाइसेंसधारक भी कोई विशेष रुचि नहीं ले रहे हैं।
झारखंड में रद हो चुका अधिनियम : भारत के 18 राज्यों में साहूकारी अधिनियम लागू है। तीन जनवरी 2017 को झारखंड निजी साहूकारी अधिनियम (निषेध) अधिनियम, 2016 के लागू होने के बाद झारखंड मनी लेंडर्स एक्ट, 1974 को निरस्त किया जा चुका है।
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